2 (1-2) ईश्वर! मेरा उद्धार कर। प्रभु! शीघ्र ही मेरी सहायता कर।
3) जो मेरे जीवन के गाहक हैं, वे सब-के-सब लज्जित हों, जो मेरी दुर्गति की कामना करते हैं, वे अपमानित हो कर हट जायें।
4) जो मुझे से "अहा! अहा!" कहते हैं, वे कलंकित हो कर पीछे हटें।
5) जो तेरी खोज में लगे हैं, वे सभी उल्लास के साथ आनन्द मनायें। जो तेरे द्वारा मुक्ति चाहते हैं, वे निरन्तर यह कहते रहें: प्रभु महान् है।
6) मैं दरिद्र और अपमानित हूँ; ईश्वर! शीघ्र ही मेरे पास आ। तू ही मेरा सहायक और उद्धारक है। प्रभु! विलम्ब न कर।