📖 - स्तोत्र ग्रन्थ

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अध्याय 43

1) ईश्वर! मुझे न्याय दिला, इस विधर्मी पीढ़ी के विरुद्ध मेरा पक्ष ले। ईश्वर! कपटी और कुटिल लोगों से मुझे बचाये रखने की कृपा कर।

2) ईश्वर! तू ही मेरा आश्रय है। तूने मुझे क्यों त्याग दिया? शुत्र के अत्याचार से दुःखी हो कर मुझे क्यों भटकना पड़ता है?

3) अपनी ज्योति और अपना सत्य भेज। वे मुझे मार्ग दिखा कर तेरे पवित्र पर्वत तक, मेरे निवासस्थान तक पहुँचा देंगे।

4) मैं ईश्वर की वेदी के पास जाऊँगा, ईश्वर के पास, जो मेरा आनन्द और उल्लास है। मैं वीणा बजाते हुए अपने प्रभु-ईश्वर की स्तुति करूँगा।

5) मेरी आत्मा! उदास क्यों हो? क्यों आह भरती हो? ईश्वर पर भरोसा रखो। मैं फिर उसका धन्यवाद करूँगा। वह मेरा मुक्तिदाता और मेरा ईश्वर है।



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