2 (1-2) संकट के समय प्रभु आपकी प्रार्थना सुने, याकूब के ईश्वर का नाम उसकी रक्षा करे।
3) वह मन्दिर में से आपकी सहायता करे, सियोन पर्वत पर से आप को संभाले।
4) वह आपके सब चढ़ावों को स्मरण रखे और आपकी होम-बलि स्वीकारे।
5) वह आपके सब मनोरथ पूर्ण करे और आपकी समस्त योजनाएं सफल बनाये।
6) तब हम आपकी विजय के कारण तालियाँ बजायेंगे और अपने ईश्वर के नाम पर ध्वजाएँ फहरायेंगे। प्रभु आपकी सब प्रर्थनाएँ पूरी करे।
7) अब मैं जान गया कि प्रभु अपने अभिषिक्त को विजय दिलाता है। वह अपने विजयी बाहुबल के प्रदर्शन से अपने अभिषिक्त की प्रार्थना पूरी करता है।
8) कुछ लोग रथों पर और कुछ लोग अश्वों पर गौरव करते हैं। हम तो प्रभु, अपने ईश्वर के नाम की दुहाई देते हैं।
9) वे लड़खड़ा कर गिर जाते हैं और हम डट कर सामना करते हैं।
10) प्रभु! राजा को विजय दिला। जिस दिन हम तुझे पुकारते हैं, उस दिन हमारी सुन।