2 (1-2) प्रभु! तेरे सामर्थ्य के कारण राजा आनन्दित है, वह तेरी सहायता पा कर आनन्द मनाते हैं।
3) तूने उनकी अभिलाषा पूरी की, तूने उनकी प्रार्थना नहीं ठुकरायी।
4) तूने उन्हें भरपूर आशीर्वाद दिया, तूने उन्हें परिष्कृत स्वर्ण का मुकुट पहनाया।
5) उन्होंने तुझ से जीवन का वरदान माँगा और तूने उनके दिन अनन्त काल तक बढ़ा दिये।
6) तेरी सहायता से उनका यश फैल गया; तूने प्रताप और ऐश्वर्य प्रदान किया।
7) तूने उन्हें चिरस्थायी आशीर्वाद दिया। वह तेरा सान्निध्य पा कर आनन्दित हैं।
8) राजा प्रभु पर भरोसा रखते हैं, सर्वोच्च की कृपा से वह कभी विचलित नहीं होंगे।
9) आपका हाथ सब शत्रुओं पर प्रहार करेगा, आपका बाहुबल सब विद्रोहियों का दमन करेगा।
10) आपका क्रोध दहकती भट्टी की तरह उनका सर्वनाश करेगा। प्रभु का क्रोध भड़केगा और आग उन्हें भस्म कर देगी।
11) आप पृथ्वी पर उनकी सन्तति का विनाश करेंगे; आप मनुष्यों में उनका वंश समाप्त कर देंगे।
12) यदि वे आपकी हानि करना चाहेंगे या आपके विरुद्ध षड्यन्त्र रचेंगे, तो सफल नहीं होंगे;
13) क्योंकि आप उन्हें पीठ दिखाने को विवश करेंगे; आप उन्हें अपने धनुष का निशाना बनायेंगे।
14) प्रभु! उठ कर अपना बाहुबल प्रदर्शित कर। हम गाते हुए तेरे सामर्थ्य का बखान करेंगे।