1) अल्लेलूया! प्रभु के मन्दिर में उसकी स्तुति करो। उसके महिमामय आकाश में उसकी स्तुति करो।
2) उसके महान् कार्यों के कारण उसकी स्तुति करो। उसके परम प्रताप के कारण उसकी स्तुति करो।
3) तुरही फूँकते हुए, उसकी स्तुति करो। वीणा और सितार बजाते हुए उसकी स्तुति करो।
4) ढोल बजाते और नृत्य करते हुए उसकी स्तुति करो। तानपूरा और बाँसुरी बजाते हुए उसकी स्तुति करो।
5) झाँझों की ध्वनि पर उसकी स्तुति करो। विजय की झाँझों को बजाते हुए उसकी स्तुति करो।
6) सभी प्राणी प्रभु की स्तुति करें। अल्लेलूया!