2 (1-2) समस्त राष्ट्रों! तालियाँ बजाओ और उल्लसित हो कर ईश्वर का जयकार करो;
3) क्योंकि वह प्रभु है, सर्वोच्च है, आराध्य है। वह समस्त पृथ्वी का महान् राजा है।
4) वह अन्य देशों को हमारे अधीन करता है, वह अन्य राष्ट्रों को हमारे पैरों तले रखता है।
5) वह हमें वह विरासत प्रदान करता है, जिस पर उसके कृपापात्र याकूब को गौरव था।
6) ईश्वर जयकार के साथ आगे बढ़ता है। वह तुरही के घोष के साथ आगे बढ़ता है।
7) हमारे ईश्वर के आदर में भजन गाओ, हमारे राजा के आदर में भजन गाओ।
8) ईश्वर समस्त पृथ्वी का राजा है। उसके आदर में शिक्षा-गीत सुनाओ।
9) ईश्वर सभी राष्ट्रों पर राज्य करता है। वह अपने सिंहासन पर विराजमान है।
10) अन्य राष्ट्रों के शासक इब्राहीम के ईश्वर की प्रजा से मेल करते हैं। पृथ्वी के शासक ईश्वर के अधीन है। ईश्वर सबों पर राज्य करता है।