2 (1-2) प्रभु! हमारे ईश्वर! तेरा नाम समस्त पृथ्वी पर कितना महान् है! तेरी महिमा आकाश से भी ऊँची है।
3) बालक और दुधमुँहे बच्चे तेरा गुणगान करते हैं। तूने अपने लिए एक सुदृढ़ गढ़ बनाया है। तेरे शत्रु और विद्रोही उसके सामने नहीं टिक सकते।
4) जब मैं तेरे बनाये हुए आकाश को देखता हूँ, तेरे द्वारा स्थापित तारों और चन्द्रमा को,
5) तो सोचता हूँ कि मनुष्य क्या है, जो तू उसकी सुधि ले? आदम का पुत्र क्या है, जो तू उसकी देख-भाल करे?
6) तूने उसे स्वर्गदूतों से कुछ ही छोटा बनाया और उसे महिमा और सम्मान का मुकुट पहनाया।
7) तूने उसे अपनी सृष्टि पर अधिकार दिया और उसके पैरों तले सब कुछ डाल दिया-
8) सब भेड़-बकरियों, गाय-बैलों और जंगल के बनैले पशुओं को;
9) आकाश के पक्षियों, समुद्र की मछलियों और सारे जलचारी जन्तुओं को।
10) प्रभु! हमारे ईश्वर! तेरा नाम समस्त पृथ्वी पर कितना महान् है!