1) इनके बाद नातान प्रकट हुए, जो दाऊद के दिनों में नबी थे।
2) जिस प्रकार प्रायश्चित्त के बलिदान में चरबी अलग की जाती है, उसी प्रकार दाऊद को इस्राएलियों में से चुना गया था।
3) वह सिंहों के साथ खेलते थे, मानो वे बकरी के बच्चे हों और भालुओें के साथ खेलते थे, मानो वे छोटे मेमने हों।
4) उन्होंने अपनी जवानी में भीमकाय योद्धा को मारा और अपने राष्ट्र का कलंक दूर किया।
5) उन्होंन हाथ से ढेलबाँस का पत्थर मारा और गोलयत का घमण्ड चूर-चूर कर दिया;
6) क्योंकि उन्होंने सर्वोच्च प्रभु से प्रार्थन की और उसने उनके दाहिने हाथ को शक्ति प्रदान की, जिससे वह बलवान् योद्धा को पछाड़ कर अपनी प्रजा को शक्तिशाली बना सकें।
7) इसलिए लोगों ने उन्हें ’दस हजार का विजेता’ घोषित किया, ईश्वर के आशीर्वाद के कारण उनकी स्तुति की और उन्हें महिमा का मुकुट पहनाया;
8) क्योंकि उन्होंने चारों ओर के शत्रुओें को पराजित किया और अपने फिलिस्तीनी विरोधियों का सर्वनाश किया। उन्होंने सदा के लिए उनकी शक्ति समाप्त कर दी।
9) वह अपने सब कार्यों में धन्यवाद देते हुए परमपावन सर्वोच्च ईश्वर की स्तुति करते रहे।
10) वह अपने सृष्टिकर्ता के प्रति अपना प्रेम प्रकट करने के लिए सारे हृदय से गीत गाया करते थे।
11) उन्होंने गायकों को नियुक्त किया, जिससे वे वेदी के सामने खड़े हो कर मधुर गान सुनायें।
12) उन्होंने पर्वों के भव्य समारोह का प्रबन्ध किया और सदा के लिए पर्वचक्र निर्धारित किया, जिससे प्रभु का मन्दिर प्रातःकाल से ही उसके पवित्र नाम की स्तुति से गूँज उठे।
13) प्रभु ने उनके पाप क्षमा किये और सदा के लिए उन्हें शक्तिशाली बना दिया। उसने उन्हें राज्याधिकार और इस्राएल को महिमामय सिंहासन प्रदान किया।
14) दाऊद के बाद उनके एक प्रज्ञासम्पन्न पुत्र प्रकट हुए, जो अपने पिता के कारण सुरक्षा में जीवन बिता सके।
15) सुलेमान ने शान्ति के समय राज्य किया। ईश्वर ने उन्हें सब ओर से शान्ति प्रदान की, जिससे वे उसके नाम पर भवन बनवायें और सदा के लिए एक मन्दिर की स्थापना करें। आप अपनी युवावस्था में कितने प्रज्ञा-सम्पन्न थे।
16) और नदी की तरह विवेक से भरपूर! आपकी विद्धता ने पृथ्वी को ढक दिया
17) और उसे रहस्यात्मक सूक्तियों से भर दिया। आपका नाम दूर द्वीपों तक फैल गया और आप अपनी शान्ति के कारण लोकप्रिय थे।
18) सारी पृथ्वी आपके गीतों, सूक्तियों, दृष्टान्तों और व्याख्याओें पर मुग्ध थी।
19) आपने प्रभु-ईश्वर के नाम पर, जो इस्राएल का ईश्वर कहलाता है,
20) राँगे की तरह सोने का और सीसे की तरह चाँदी का ढेर लगाया।
21) किन्तु आपने अपने को स्त्रियों पर अर्पित किया और उन्हें अपने शरीर पर अधिकार दिया।
22) आपने अपने यश पर कलंक लगाया, अपने वंशजों को दूषित किया, अपनी सन्तति पर क्रोध उत्पन्न किया और उन्होंने आपकी मूर्खता पर शोक मनाया।
23) आपका राज्य दो भागों में विभाजित किया गया, जिससे एफ्रईम में एक विद्रोही राज्य उत्पन्न हुआ।
24) फिर भी प्रभु ने अपनी दया नहीं भुलायी और अपने शब्दों में एक को भी व्यर्थ नहीं होने दिया। उसने दाऊद के पुत्रों को मिटने नहीं दिया और अपने प्रेमपात्र के वंश का सर्वनाश नहीं किया।
25) उसने याकूब का एक अवशेष और दाऊद के एक वंशज को सुरक्षित रखा।
26) सुलेमान अपने पूर्वजों से जा मिले
27) और अपने बाद एक ऐसे मूर्ख वंशज को छोड़ गये,
28) जिस में कोई बुद्धि नहीं थी। रहबआम, जिसने अपने निर्णय के कारण जनता में विद्रोह उत्पन्न किया,
29) नबाट के पुत्र यरोबआम ने इस्राएल से पाप करवाया, और एफ्रईम को पाप का मार्ग दिखाया। उनके पापों की संख्या इस प्रकार बढ़ गयी
30) कि उन को अपने देश से निर्वासित किया गया।
31) जब तक उन को दण्ड नहीं दिया गया, तब तक वे हर प्रकार के अपराध करते रहे।