📖 - दुसरा इतिहास ग्रन्थ

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अध्याय 28

1) जब आहाज़ राजा बना, तो उसकी अवस्था बीस वर्ष थी। उसने येरूसालेम में सोलह वर्ष शासन किया। उसने अपने पूर्वज दाऊद की तरह वही नहीं किया, जो प्रभु की दृष्टि में उचित है,

2) बल्कि वह इस्राएल के राजाओं के मार्ग पर चला। प्रभु ने जो राष्ट्र इस्राएलियों के सामने से भगा दिये थे,

3) उसने उनके घृणित कार्यों के अनुसार बाल की देवमूतियाँ बनवायीं, बेनहिन्नोम की घाटी में धूप चढ़ायी और अपने ही पुत्रों की आहुति दी।

4) वह पहाड़ी पूजास्थानों में, टीलों पर और प्रत्येक छायादार वृक्ष के नीचे बलिदान चढ़ाता और धूप देता था।

5) प्रभु, उसके ईश्वर ने उसे अरामियों के राजा अराम के हाथ दे दिया। अराम ने उसे पराजित किया और वह उसके बहुत-से लोगों को बन्दी बना कर दमिष्क ले गया। वह इस्राएल के राजा के हाथ भी दिया गया, जिसने उसे बुरी तरह पराजित किया।

6) रमल्या के पुत्र पेकह ने एक ही दिन में यूदा के एक लाख बीस हज़ार वीर सैनिकों को मार गिराया। यह इसलिए हुआ कि उन्होंने प्रभु, अपने पूर्वजों के ईश्वर को त्याग दिया था।

7) एफ्रईम के वीर योद्धा ज़िक्री ने राजा के पुत्र मासेया, महल के प्रबन्धक अज्रीकाम और एल्काना को, जिसका पद ठीक राजा के बाद था, मार गिराया।

8) इस्राएली उनके भाई-बन्धुओं में से दो लाख स्त्रियों और बच्चों को बन्दी बना कर ले गये। इसके अलावा वे लूट का बहुत-सा माल समारिया ले गये।

9) वहाँ ओदेह नामक प्रभु का एक नबी था। वह उस सेना से मिलने गया, जो समारिया लौट रही थी और उस से बोला, "प्रभु, तुम्हारे पूर्वजों का ईश्वर यूदा पर क्रुद्ध था, इसलिए उसने उन्हें तुम्हारे हाथ दे दिया। तुम लोगों ने उनकी हत्या इतनी क्रूरता से की कि उनकी आह स्वर्ग तल पहुँच गयी

10) और अब तुम यूदा और येरूसालेम की यह सन्तान अपने दास-दासियाँ बनाने की सोच रहे हो। क्या तुम समझते हो कि तुम प्रभु, अपने ईश्वर के सामने निर्दोष हो?

11) मेरी बात मानो और उन बन्दियों को वापस कर दो, जिन्हें तुमने अपने भाई-बन्धुओं में से बन्दी बना लिया है। नहीं तो प्रभु का क्रोध तुम पर भड़क उठेगा।"

12) तब एफ्ऱईम के कुछ नेता, अर्थात् यहोहानान का पुत्र अज़र्या, मशिल्लेमोत का पुत्र बेरेक्या, शल्लूम का पुत्र यहिज़कीया और हदलय का पुत्र अमासा लौटे हुए सैनिकों के सामने जा कर उन से कहने लगे,

13) "उन बन्दियों केा यहाँ मत लाओ। नहीं तो तुम लोग प्रभु के सामने हमें दोषी बनाओगे। तुम हमारे पाप और अपराध बढ़ाना चाहते हो, जब कि इस्राएल का अपराध बहुत भारी है और हम प्रभु की क्रोधाग्नि के शिकार हो चुके हैं।"

14) इस पर सैनिकों ने नेताओं और सारे समाज के सामने बन्दियों और लूट के माल को छोड़ दिया।

15) अब वे लोग बन्दियों की सेवा करने पास आये, जिन्हें इस कार्य के लिए नाम से नियुक्त किया गया था। उन्होंने उन सब को, जो नंगे थे, लूट के माल में से वस्त्र दिये, उन्हें कपड़े और जूते पहनाये, उन्हें खिलाया-पिलाया और उनके घावों के लिए मरहम दिया और जो निर्बल थे, उन्हें गधों पर खजूर-नगर यरीखो तक उनके भाई-बन्धुओं के पास पहुँचा दिया। इसके बाद वे स्वयं समारिया लौट गये।

16) उस समय राजा आहाज़ ने अस्सूर के राजा के यहाँ सहायता माँगने के लिए दूत भेजे।

17) एदोमियों ने यूदा पर फिर से आक्रमण किया, उसे पराजित कर दिया और वे बन्दियों को ले गये।

18) फ़िलिस्तियों ने यूदा के निचले प्रदेश के नगरों और नेगेब प्रदेश को लूट लिया। उन्होंने बेत-शेमेश, अय्यालोन, गदेरोत, सोको और उसके आसपास के गाँव, तिमना और उसके आसपास के गाँव तथा गिमज़ो और उसके आसपास के गाँव अधिकार में कर लिये और स्वयं वहाँ बसने लगे।

19) यह इसलिए हुआ कि प्रभु ने इस्राएल के राजा आहाज़ के कारण यूदा को नीचा दिखाया, क्योंकि राजा ने यूदा में अधर्म को बढ़ावा दिया और वह स्वयं प्रभु से विमुख हो गया।

20) अस्सूर के राजा तिलगत-पिलएसेर ने सहायता देने की बजाय उस पर आक्रमण किया।

21) आहाज़ ने प्रभु के मन्दिर, राजभवन और पदाधिकारियों की सम्पत्ति का कुछ अंश ले कर अस्सूर के राजा को दे दिया था, फिर भी उस से उसे कोई लाभ नहीं हुआ।

22) राजा आहाज़ ने अपने संकट के दिनों में भी प्रभु के साथ अपना विश्वासघात बढ़ाया।

23) उसने यह कहते हुए दमिष्क के देवताओं को बलिदान चढ़ाये, जिन्होंने उसे पराजित किया, "आराम के राजाओं के देवता उनकी सहायता करते हैं, इसलिए मैं उन्हें बलिदान चढ़ाता हूँ, जिससे वे मेरी सहायता करें"।

24) आहाज़ ने ईश्वर के मन्दिर का सामान इकट्ठा कर उसके टुकड़े-टुकड़े कर दिये। उसने प्रभु के मन्दिर के द्वार बन्द कर दिये और येरूसालेम के कोने-कोने मे वेदियाँ बनवायीं।

25) उसने यूदा के प्रत्येक नगर में पहाड़ी पूजास्थान स्थापित किये, जिससे वहाँ पराये देवताओं को धूप चढ़ायी जाये। इस प्रकार उसने प्रभु, अपने पूर्वजों के ईश्वर का क्रोध भड़काया।

26) उसका शेष इतिहास और प्रारम्भ से अन्त तक उसका कार्यकलाप यूदा और इस्राएल के राजाओं के इतिहास-ग्रन्थ में लिखा है।

27) आहाज़ अपने पितरों से जा मिला और येरूसालेम के नगर में दफ़नाया गया, क्योंकि उसे इस्राएल के राजाओं के समाधिस्थल में स्थान नहीं दिया गया। उसका पुत्र हिज़कीया उसकी जगह राजा बना।



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