1) आसा के स्थान पर उसका पुत्र यहोशाफ़ाट राजा बना। वह इस्राएल के विरुद्ध शक्तिशाली होता गया।
2) उसने यूदा के सब क़िलाबन्द नगरों में सैनिक रखे और यूदा में और एफ्ऱईम के उन नगरों में, जिन्हें उसके पिता आसा ने छीन लिया था, रक्षक सेना रखी।
3) प्रभु यहोशाफ़ाट के साथ था, क्योंकि वह उस मार्ग पर चलता था, जिस पर उसका पूर्वज दाऊद पहले चला था। वह बाल-देवताओं की नहीं,
4) बल्कि अपने पिता के ईश्वर की उपासना करता था। वह प्रभु की आज्ञाओं का पालन करता और इस्राएल के कार्यों का अनुसरण नहीं करता था।
5) इसलिए प्रभु ने उसके हाथ में राजसत्ता सुदृढ़ की। समस्त यूदा यहोशाफ़ाट को उपहार देने आया। इस प्रकार उसे बहुत धन सम्पत्ति और सम्मान मिला।
6) जैसे-जैसे उसे प्रभु के मार्गों पर चलने का उसका साहस बढ़ता गया, वैसे-वैसे वह पहाड़ी पूजास्थान और अशेरा- देवी के खूँटे यूदा से हटाता गया।
7) उसने अपने शासनकाल के तीसरे वर्ष अपने पदाधिकारी बेन-हाइल, ओबद्या, ज़कर्या, नतनएल और मीकायाह को भेजा, जिस से वे यूदा के नगरों में लोगों को शिक्षा प्रदान करें।
8) उनके साथ ये लेवी थे: शमाया, नतन्या, ज़बद्या, असाएल, शमीरामोत, यहोनातान, अदोनीया, टोबीया और टोब- अदोनीया। इन लेवियों के साथ याजक एलीशामा और यहोराम भी थे।
9) वे यूदा में शिक्षा देते थे। उनके साथ प्रभु की संहिता का ग्रन्थ भी था। वे यूदा के सब नगरों में भ्रमण करते हुए लोगों को शिक्षा देते थे।
10) यूदा के आसपास के सभी देशों के राज्यों पर प्रभु का आतंक छाया हुआ था, इसलिए वे यहोशाफ़ाट के विरूद्व युद्ध नहीं करते थे।
11) फ़िलिस्तियों में अनेक यहोशाफ़ाट को उपहार और करस्वरूप चाँदी देते थे। अरबवासियों ने भी उसे सात हज़ार सात सौ मेढ़े और सात हज़ार सात सौ बकरे भेजे।
12) इस से यहोशाफ़ाट की शक्ति बढ़ती गयी। उसने यूदा में बुर्ज और भण्डार-नगर बनवाये।
13) यूदा के नगरों में भी भण्डार और येरूसालेम में वीर सैनिक थे।
14) उनके कुटुम्बों के अनुसार उनका क्रम यह था - यूदा से: सहस्रपति मुखिया अदना; उसके साथ तीन लाख वीर योद्धा थे।
15) उसके बाद मुखिया योहानान, जिसके नीचे दो लाख अस्सी हज़ार योद्धा थे। फिर ज़िक्री का पुत्र अमस्या, जिसने स्वेच्छा से अपने आपको प्रभु को समर्पित कर दिया था।
16) उसके साथ दो लाख वीर योद्धा थे।
17) बेनयामीन से: वीर एल्यादा; उसके नीचे दो लाख धनुर्धर सैनिक थे, जिनके पास ढालें थीं ;
18) योज़ाबाद, जिसके नीचे युद्ध के लिए तैयार एक लाख अस्सी हज़ार आदमी थे।
19) ये सब राजा की सेवा में थे। उनके अतिरिक्त वे भी थे, जिनको राजा ने यूदा भर के दुर्गों में रखा था।