1) रहबआम सिखेम गया, क्योंकि सभी इस्राएली उसे राजा बनाने के लिए सिखेम में एकत्रित हो रहे थे।
2) नबाट के पुत्र यरोबआम को भी इसकी सूचना मिली, तो वह मिस्र से लौटा। वह अब तक मिस्र में रह रहा था, जहाँ वह राजा सुलेमान से भाग कर गया था।
3) लोगों ने उसे वहाँ से बुलवाया। यरोबआम और इस्राएल का सारा समुदाय रहबआम से बोला,
4) "आपके पिता ने हमारे कन्धे पर भारी जुआ रख दिया था। आप अपने पिता की कठोर बेगार और हमारे कन्धे पर रखे उसके भारी जुए को हल्का करें और हम आपकी सेवा करेंगे।"
5) उसने उन्हें उत्तर दिया, "तीन दिन बाद फिर मुझ से मिलने आओ"। तब लोग चले गये।
6) अब राजा रहबआम ने उन बड़े-बूढ़ों से परामर्श किया, जो उसके पिता सुलेमान के राज्यकाल में उसके यहाँ सेवा करते थे। उसने पूछा, "आप लोगों की राय क्या है? मैं उन लोगों को क्या उत्तर दूँ?"
7) उन्होंने उस से कहा, "यदि आप अब उन लोगों के साथ अच्छा व्यवहार करेंगे, उनकी बात मानेंगे और उन्हें अनुकूल उत्तर देंगे, तो वे सदा आपके सेवक बने रहेंगे"
8) लेकिन उसने बड़े-बूढ़ों की राय पर ध्यान नहीं दिया और उन युवकों से सलाह ली, जो उसके समवयस्क और उसके सेवक थे।
9) उसने उन से पूछा, "तुम लोगों की राय क्या है? मैं लोगों को क्या उत्तर दूँ, जो मुझ से कहते हैं-आपके पिता ने हम पर जो जुआ रखा, उसे हलका करें?"
10) उन युवकों ने, जो उसके समवयस्क थे, उसे यह उत्तर दिया, "जो लोग आप से कहते हैं-आपके पिता ने हम पर भारी जुआ रखा, आप हमारा जुआ हलका कर दें, आप इन लोगों को यह उत्तर दें- मेरी छोटी उँगली मेरे पिता की कमर से भी अधिक मोटी है!
11) मेरे पिता ने तुम पर भारी जुआ रखा। मैं तुम्हारा जुआ और भारी करूँगा। मेरे पिता तुम्हें कोड़ों से पिटवाते थे। मैं कील-लगे कोड़ों से पिटवाऊँगा।"
12) राजा ने आज्ञा दी थी कि तीसरे दिन फिर से मेरे पास आ जाना; इसलिए यरोबआम और सब लोग तीसरे दिन रहबआम के पास लौटे।
13) राजा रहबआम ने उन्हें कठोर उत्तर दिया। राजा रहबआम ने नेताओं की राय की अवहेलना कर,
14) युवकों की राय के अनुसार उन को उत्तर देते हुए कहा, "मेरे पिता ने तुम लोगों पर भारी जुआ रख दिया। मैं उसे और भारी करूँगा। मेरे पिता ने तुम्हें कोड़ों से पिटवाया। मैं तुम्हें कीले-लगे कोड़ों से पिटवाऊँगा।"
15) इस प्रकार राजा ने लोगों की माँग पर कुछ ध्यान नहीं दिया; क्योंकि यह ईश्वर की लीला थी, जिससे शिलो के माध्यम से नबाट के पुत्र यरोबआम के प्रति प्रभु की वाणी पूरी हो जाये।
16) जब सब इस्राएलियों ने देखा कि राजा हमारी नहीं सुनता, तो उन्होंने राजा को उत्तर दिया, "दाऊद से हमारा कोई सम्बन्ध नहीं। यिशय के पुत्र के साथ हमारा कुछ लेना-देना नहीं। इस्राएलियों! तुम अपने घर लौट जाओ। दाऊद! तुम अपना घर सँभालों!" इस पर सभी इस्राएली अपने-अपने घर चले गये।
17) रहबआम केवल उन इस्राएलियों का राजा रह गया, जो यूदा के नगरों में रहते थे।
18) जब राजा रहबआम ने बेगार के अध्यक्ष अदोराम को भेजा, तो इस्राएली उसे तब तक पत्थर मारते रहे, जब तक उसकी मृत्यु नहीं हो गयी। राजा रहबआम शीघ्र ही अपने रथ पर सवार हो कर येरूसालेम भाग निकला।
19) इस प्रकार इस्राएल दाऊद के घराने से अलग हो गया और आज तक ऐसा ही है।