1) इधर यूदा का राजा यहोशाफ़ाट सकुशल अपने घर येरुसालेम आया।
2) हनानी का पुत्र द्रष्टा येहू उस से मिलने आया। उसने राजा यहोशाफ़ाट से कहा, ''क्या आप को कुकर्मी की सहायता और प्रभु से बैर करने वालों को प्यार करना चाहिए था? इस कारण प्रभु का क्रोध आप पर भड़क उठेगा।
3) फिर भी आप में कुछ भलाई भी पायी गयी; क्योंकि आपने अशेरादेवी के खूँटे हटा दिये और प्रभु की ओर अभिमुख होने का संकल्प किया।''
4) थोड़े दिन येरुसालेम में रहने के बाद यहोशाफ़ाट बएर-शेबा से ले कर एफ्रईम के पहाड़ी प्रान्त तक अपनी प्रजा के बीच घूमता रहा, जिससे वह उसे प्रभु, अपने पूर्वजों के ईश्वर की ओर अभिमुख करे।
5) उसने देश में, यूदा के सभी क़िलाबन्द नगरों में, नगर-नगर में न्यायाधीश नियुक्त किये।
6) उसने न्यायाधीशों को यह आज्ञा दी, ''अपने-अपने कर्तव्य पर ध्यान दो; क्योंकि तुम मनुष्यों के नाम पर नहीं, बल्कि प्रभु के नाम पर न्याय करते हो। न्याय करते समय प्रभु तुम्हारें साथ रहता है।
7) तुम्हें प्रभु पर श्रद्धा रखनी चाहिए। सावधानी से काम करो ; क्योंकि प्रभु, हमारे ईश्वर के यहाँ न तो अन्याय है, न पक्षपात ओर न भ्रष्टाचार।''
8) यहोशाफ़ाट ने येरुसालेम में भी लेवियों, याजकों और इस्राएली घरानों के मुखियाओं को नियुक्त किया, जिससे वे प्रभु के नाम पर न्याय करें और येरुसालेमवासियों के विवाद निपटायें।
9) उसने उनको यह आदेश दिया, ''तुम्हें प्रभु पर श्रद्धा रखते हुए ईमारदारी और निष्कपट हृदय से अपना काम करना चाहिए।
10) यदि तुम्हारे नगरों में, जहाँ तुम्हारे भाई-बन्धु रहते हैं, वे तुम्हारे यहाँ कोई मुक़दमा ले कर आयें-चाहे वह रक्तपात, संहिता, विधि-निषेधों, आदेशों या नियमों के विषय में हो- तो तुम्हें उनको समझाना चाहिए, जिससे वे प्रभु की दृष्टि में दोषी न बनें और तुम पर और तुम्हारे भाई-बन्धुओं पर उसका क्रोध नहीं भड़के। यदि तुम ऐसा ही करोगे, तो दोषी नहीं बनोगे।
11) प्रभु-सम्बन्धी सब मामलों में प्रधानयाजक अमर्या तुम्हारा अध्यक्ष होगा और सब राजकीय मामलों में इसमाएल का पुत्र जबद्या, जो यूदा के घराने का मुखिया है। लेवी लिपिक के रूप में तुम्हारी सहायता करेंगे। धैर्य से काम शुरू करो। प्रभु अच्छी तरह काम करने वाले के साथ हो।''