1) जब योताम राजा बना, तो उसकी अवस्था पच्चीस वर्ष थी। उसने येरूसालेम में सोलह वर्ष शासन किया। उसकी माता का नाम यरूषा था, जो सादोक की पुत्री थी।
2) उसने अपने पिता उज़्ज़ीया की तरह ही वही किया, जो प्रभु की दृष्टि में उचित है; किन्तु उसने प्रभु के मन्दिर में प्रवेश नहीं किया। जनता भ्रष्ट आचरण करती रही।
3) उसने प्रभु के मन्दिर का ऊपरी फाटक बनवाया और ओफ़ेन की दीवार पर भी बहुत-सा निर्माण-कार्य करवाया।
4) उसने यूदा के पहाड़ी प्रान्त में नगर और वनों में क़िले और बुर्ज बनवाये।
5) उसने अम्मोनियों से युद्ध किया और उन्हें पराजित किया। उस वर्ष अम्मोनियों को उसे एक सौ मन चाँदी, साढ़े चार लाख लिटर गेहूँ और साढ़े चार लाख लिटर जौ देना पड़ा। दूसरे और तीसरे वर्ष भी अम्मोनियों को उतना ही देना पड़ा।
6) इस प्रकार योताम शक्तिशाली होता गया; क्योंकि वह दृढ़तापूर्वक प्रभु, अपने ईश्वर के मार्ग पर चलता था।
7) योताम का शेष इतिहास, उसके सभी युद्व और कार्यकलाप-यह सब इस्राएल और यूदा के राजाओं के इतिहास-ग्रन्थ में लिखा है।
8) जब वह राजा बना, तो उसकी अवस्था पच्चीस वर्ष थी और उसने येरूसालेम में सोलह वर्ष शासन किया।
9) योताम अपने पितरों से जा मिला और उसे दाऊदनगर में दफ़ना दिया गया। उसका पुत्र आहाज़ उसकी जगह राजा बना।