📖 - दुसरा इतिहास ग्रन्थ

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अध्याय 09

1) जब शेबा की रानी ने सुलेमान की कीर्ति के विषय में सुना, तो वह पहलियों द्वारा उसकी परीक्षा लेने येरूसालेम आयी। वह एक बडे़ कारवाँ और ऊँटों के साथ आयी, जिन पर सुगन्धित रत्न लदे हुए थे।

2) उसने सुलेमान के पास पहुँच कर अपने मन में जो कुछ था, वह सब सुलेमान को बताया। सुलेमान ने उसके सभी प्रश्नों का उत्तर दिया - उन में एक भी ऐसा नहीं निकला, जिसका सुलेमान सन्तोषजनक उत्तर नहीं दे सका।

3) जब शेबा की रानी ने सुलेमान की प्रज्ञा, उसके द्वारा निर्मित भवन,

4) उसकी मेज़ के भोजन, उसके साथ खाने वाले दरबारियों, उसके सेवकों की परिचर्या और परिधान, उसके मदिरा पिलाने वालों और प्रभु के मन्दिर में उसके द्वारा चढ़ायी हुई होम-बलियों को देखा, तो उसके होष उड़ गये।

5) उसने राजा से यह कहा, "मैंने अपने देश में आपके और आपकी प्रज्ञा के विषय में जो चरचा सुनी थी, वह सच है।

6) जब तक मैंने आ कर अपनी आँखों से नहीं देखा था, तब तक मुझे उस पर विश्वास नहीं था। सच पूछिए, तो मुझे आधा भी नहीं बताया गया था। मैंने जो चरचा सुनी थी, उसकी अपेक्षा आपकी प्रज्ञा और आपका वैभव कहीं अधिक श्रेष्ठ है।

7) धन्य है आपकी प्रजा और धन्य है आपके सेवक, जो आपके सामने उपस्थित रह कर आपकी विवेकपूर्ण बातें सुनते रहते हैं!

8) धन्य है प्रभु, आपका ईश्वर, जिसने आप पर प्रसन्न हो कर आप को अपने सिंहासन पर बैठाया, जिससे आप राजा के रूप में प्रभु, अपने ईश्वर की सेवा करें! आपका ईश्वर इस्राएल को प्यार करता और उसे सदा के लिए बनाये रखना चाहता है, इसलिए उसने आप को न्याय और धार्मिकता से शासन करने के लिए उसका राजा नियुक्त किया है।"

9) इसके बाद उसने राजा को एक सौ बीस मन सोना, बहुत अधिक सुगन्धित द्रव्य और बहुमूल्य रत्न प्रदान किये। शेबा की रानी ने सुलेमान को जैसा सुगन्धित द्रव्य दिया, वैसा कभी नहीं लाया गया।

10) ओफ़िर से सोना ले आने वाले हूराम और सुलेमान के सेवक चन्दन और मणियाँ भी लाते थे।

11) राजा ने चन्दन से प्रभु के मन्दिर और राजमहल के लिए छोटे-छोटे खम्भे बनवाये और गायकों के लिए सितार और सारंगियाँ बनवायीं। इसके पहले ऐसी चीज़ें यूदा देश में कभी नहीं देखी गयी थी।

12) राजा सुलेमान ने शेबा की रानी को वह सब कुछ दिया, जो वह चाहती थी और जिसके लिए उसने इच्छा प्रकट की। शेबा की रानी सुलेमान के लिए जो सब लायी थी, राजा ने उस को उस से अधिक दिया। इसके बाद वह चली गयी और अपने दलबल के साथ अपने देश लौट गयी।

13) उस सोने का वज़न, जो प्रति वर्ष सुलेमान के यहाँ लाया जाता था, छः सौ छियासठ मन था।

14) उस में वह सोना सम्मिलित नहीं है, जो यात्री और व्यापारी ले आते थे। सुलेमान को अरब के सब राजाओं और देश के राज्यपालों से सोना और चाँदी प्राप्त होती थी।

15) राजा सुलेमान ने सोने की दो सौ ढालें बनवायी। प्रत्येक ढाल में छः सौ शेकेल सोना लगा।

16) इसके अतिरिक्त उसने सोने की तीन सौ छोटी ढालें भी बनवायीं। प्रत्येक में डेढ़ सेर सोना लगा। उसने उन्हें लेबानोन के वन-भवन में रखवाया।

17) राजा ने हाथीदाँत का एक बड़ा सिंहासन बनवाया और उसे विशुद्ध सोने में मढ़वाया।

18) उस सिंहासन में छः सोपान थे और सोने का पावदान। सिंहासन के दोनों ओर हाथ रखने की पटरियाँ थीं और उनके दोनों ओर एक-एक सिंह।

19) छः सोपानों पर बारह सिंह थे-एक-एक सोपान के दोनों ओर एक-एक सिंह। ऐसा सिंहासन किसी राज्य में कभी नहीं बना था।

20) राजा सुलेमान के पीने के सभी प्याले सोने के थे। लेबानोन के वन-भवन के सब पात्र शुद्ध सोने के थे। सुलेमान के समय में चाँदी का कोई विशेष मूल्य नहीं था।

21) राजा के जहाज़ हूराम के आदमियों के साथ तरषीष जाते थे। वे तरषीष वाले जहाज़ प्रति तीन वर्ष लौटते और सोना, चाँदी, हाथीदाँत, बन्दर और मोर लाते थे।

22) इस प्रकार राजा सुलेमान धन-सम्पत्ति और विवेक में पृथ्वी के सभी राजाओं में श्रेष्ठ था।

23) सुलेमान की ईश्वर द्वारा प्रदत्त प्रज्ञा सुनने के लिए सारे संसार के सारे राजा उसके पास आया करते थे।

24) उन में प्रत्येक व्यक्ति प्रति वर्ष भेंट लाता था-चाँदी और सोने के पात्र, वस्त्र, अस्त्र-शस्त्र, गन्धरस, घोडे़ और खच्चर।

25) सुलेमान के पास घोड़ों और रथों के लिए चार हज़ार घुड़साल और बारह हज़ार घुड़सवार थे। वह उन्हें रक्षक-नगरों और अपने पास येरूसालेम में रखता था।

26) सुलेमान फ़रात नदी से ले कर फ़िलिस्तियों के देश तक और मिस्र की सीमा तक सब राजाओं पर शासन करता था।

27) राजा ने येरूसालेम में चाँदी को पत्थर-जैसा सस्ता बना दिया और देवदार को निचले प्रदेश में पाये जाने वाले गूलर-जैसा प्रचूर।

28) सुलेमान के लिए मिस्र और अन्य अनेक देशों से घोड़े लाये जाते थे।

29) आरम्भ से अन्त तक सुलेमान का शेष इतिहास नबी नातान के इतिहास-ग्रन्थ, शिलोवासी अहीया की भविष्यवाणियों के ग्रन्थ और नबाट के पुत्र यरोबआम के विषय में लिखित दृष्टा येदो के ग्रन्थों में लिपिबद्व है।

30) सुलेमान ने येरूसालेम में चालीस वर्ष तक समस्त इस्राएल पर राज्य किया।

31) इसके बाद वह अपने पितरों से जा मिला। उसे अपने पिता दाऊद के नगर में दफ़नाया गया। उसका पुत्र रहबआम उसके स्थान पर राजा बना।



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