📖 - एज़ेकिएल का ग्रन्थ (Ezekiel)

अध्याय ➤ 01- 02- 03- 04- 05- 06- 07- 08- 09- 10- 11- 12- 13- 14- 15- 16- 17- 18- 19- 20- 21- 22- 23- 24- 25- 26- 27- 28- 29- 30- 31- 32- 33- 34- 35- 36- 37- 38- 39- 40- 41- 42- 43- 44- 45- 46- 47- 48- मुख्य पृष्ठ

अध्याय 38

1) मुझे प्रभु की यह वाण्ी सुनाई पड़ी:

2) "मानवपुत्र! अब मागोग देश के गोग की ओर मुँह करो, जो मेशेक और तूबल का महाराजा है। उसके विरुद्ध भवियवाणी करते हुए

3) यह कहो: प्रभु-ईश्वर यह कहता है: गोग! मेशेक और तूबल के महाराजा! मैं तुम्हारे विरुद्ध हूँ।

4) मैं तुम को मोड़ कर तुम्हारे जबड़ों में अँकुसी डाल दूँगा और मैं तुम को और तुम्हारे सभी सैनिकों घोड़ों और घुडसावरों को- अस्त्र-शस्त्र धारण किये हुए विशाल समुदाय, फरियाँ और ढाल और तलवार लिये हुए सभी लोगों को- बाहर खींच लाऊँगा।

5) ढाल और शिस्त्राण धारण करने वाले फरश, क्रूश और पूट वाले भी उन्हीं के साथ होंगे।

6) गोमेर और उसके सभी सैनिक और अपने सभी सैनिकों के साथ सुदूर उत्तर का बेत-तोगरमा- अनेकानेक राष्ट्र-तुम्हारे साथ होंगे।

7) "तुम और तुम्हारे साथ एकत्र सभी सैनिको! तैयार हो, तत्पर रहो और मेरी सेवा के लिए उद्यत हो जाओ।

8) बहुत दिन बाद तुम लोगों को आदेश दिया जायेगा। बाद के वर्षों में तुम लोग एक ऐसे देश जाओगे, जो युद्ध से सुरक्षित रह गया है और जहाँ विभिन्न राष्ट्रों से लोग इस्राएल के पर्वतों पर एकत्र किये गये थे, जो निरंतर उजाड़ थे। उसके लोग राष्ट्रों से वापस लाये गये थे और वे सभी अब सुरक्षित रह गये हैं।

9) तुम आंधी की तरह आ कर आक्रमण करोगे। तुम और तुम्हारी सभी सैनिक और तुम्हारे साथ के अनेकानेक राष्ट्र बादल की तरह देश पर छा जायेंगे।

10) "प्रभु-ईश्वर यह कहता है: उस दिन तुम्हारे मन में विचार आयेंगे और तुम एक कुचक्र रचोगे।

11) और कहोगे, ’मैं प्राचीरहीन गाँवों के देश पर आक्रमण करूँगा। मैं उन शांत लोगों पर टूट पडूँगा, जो सुरक्षित रह रहे है, जो सभी बिना प्राचीर के निवास करते और जिनके यहाँ अर्गलाएँ और फाटक नहीं हैं,

12) उन को लूट कर उसका माल ले जाने; उन उजाड़ खण्डों पर धावा बोलने, जो अब बस गये हैं; उन लोगों पर, जो विभिन्न राष्ट्रों के बीच से एकत्र किये गये, जिन्होंने पशु और धन-संपत्ति प्राप्त की हैं और जो पृथ्वी के केन्द्र में रहते हैं।

13) शाबा और ददान तथा तरशीश के व्यापारी और उसके सभी गाँव तुम से पूछेंगे, ’क्या तुम लूट का धन लेने आए हो। क्या लूट का माल ले जाने, चाँदी और सोना, पशु और धन-संपत्ति छीनने, लूटी गयी प्रचुर सामग्री को अधिकार में करने के लिए तुमने अपने सैनिक एकत्र किये हैं?

14) "इसलिए मानवपुत्र! भवियवाणी करते हुए गोग से बोलो: प्रभु-ईश्वर यह कहता है- जब मेरी प्रजा इस्राएल सुरक्षित रह रही होगी, तब तुम आक्रमण करोगे।

15) तुम और तुम्हारे साथ के अनेकानेक राष्ट्र सब-के-सब घोड़े पर सवार हो कर- एक विशाल समुदाय, एक शक्तिशाली सेना- सुदूर उत्तरी भागों के तुम्हारे निवासस्थान से आ जायेंगे।

16) देश पर छा जने वाले बादल की तरह तुम मेरी प्रजा इस्राएल पर आक्रमण करोगे। मैं बाद के दिनों में अपने देश पर तुम को आक्रमण करने दूँगा, जिससे, गोग! जब मैं राष्ट्रों की आँखों के सामने तुमहारे द्वारा अपनी पवित्रता प्रमाणित करूँ, तो वे मुझे जान जायें।

17) "प्रभु-ईश्वर यह कहता हैः क्या तुम वही नहीं हो, जिसके विषय में अपने सेवक, इस्राएल के नबियों द्वारा मैंने प्राचीन काल में कहा था, जो उन दिनों बरसों बरस यह भवियवाणी करते रहे कि मैं तुम से उन पर आक्रमण कराऊँगा?

18) किंतु प्रभु-ईश्वर कहता है कि जिस दिन गोग इस्राएल देश पर आक्रमण करेगा, उस दिन मरेा क्रोध भड़क उठेगा।

19) अपनी ईर्या और अपने प्रज्वलिज क्रोध के आवेश में मैं घोषित करता हूँ- उस दिन इस्राएल देश में भारी भूकंप आयेगा;

20) समुद्र की मछलियाँ, आकाश के पक्षी, मैदान के पशु, भूमि पर रेंगेने वाले सभी कीडे-मकोड़े, और पृथ्वी पर के सभी मनुष्य मेरे सामने काँपने लगेंगे; पहाड टूट पर गिर पडेंगे, खड़ी चट्टानें लुढ़क जायेंगी और प्रत्येक दीवार ज़मीन चूमने लगेगी।

21) प्रभु-ईश्वर कहता है- मैं गोग के विरुद्ध हर तरह का आतंक बुला भेजूँगा। प्रत्येक की तलवार अपने भाई के विरुद्ध हो जायेगी

22) मैं महामारी और रक्तपात द्वारा उसका न्याय करूँगा; मैं उस पर, उसके सैनिकों और उसके साथ के अनेकानेक राष्ट्रों पर घनघोर वर्षा, ओले, आग और गंधक बरसाऊँगा।

23) इस प्रकार मैं अपनी महानता और पवित्रता प्रदर्शित करूँगा तथा अनेक राष्ट्रों के सामने अपने को प्रकट करूँगा। तब वे यह जान जायेंगे कि मैं ही प्रभु हूँ।



Copyright © www.jayesu.com