📖 - एज़ेकिएल का ग्रन्थ (Ezekiel)

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अध्याय 11

1) आत्मा मुझे उठा का ऊपर ले गया और मुझे प्रभु के मन्दिर के पूर्वी द्वार पर ले आया, जिसका मुख पूर्व की ओर है। मैंने प्रवेशद्वार पर पच्चीस आदमी देखे। मुझे उनके बीच जनता के पदाधिकारी अज़्जूर का पुत्र याजन्या और बनाया का पुत्र पलट्या दिखाई दिये।

2) उसने मुझ से यह कहा, “मानवपुत्र! ये वही लोग हैं, जो पाप की योजना बनाते और नगर में कुमन्त्रणा देते हैं,

3) जो यह बोलते हैं, ’अभी हमें घर बनाना नहीं है। यह नगर कड़ाह है और हम लोग मांस हैं।’

4) इसलिए मानवपुत्र! भवियवाणी करो, उनके विरुद्ध भवियवाणी करो।“

5) प्रभु का आत्मा मुझ पर उतरा और उसने मुझ से कहा, “यह कहोः प्रभु की यह वाणी है- इस्राएल के घराने! तुम ऐसा ही कहते हो। मैं वे बातें जानता हूँ, जो तुम्हारे मन में आती हैं।

6) तुमने इस नगर में बहुतों का वध किया है और इसकी सड़कों को मृतकों से पाट दिया है।

7) इसलिए प्रभु-ईश्वर यह कहता हैः तुम्हारे द्वारा वध किये हुए लोग, जिन्हें तुमने यहाँ डाल दिया है, मांस हैं और यह नगर कड़ाह है; किन्तु तुम इस में से बाहर निकाल लिये जाओगे।

8) तुम तलवार से डरते हो, लेकिन मैं तुम पर तलवार भेजूँगा। यह प्रभु-ईश्वर की वाणी है।

9) मैं तुम्हें इस में से बाहर ले आऊँगा, तुम्हें विदेशियों के हाथ कर दूँगा और तुम्हें दण्ड दूँगा।

10) तुम तलवार के घाट उतारे जाओगे। मैं इस्राएल की सीमा पर तुम्हारा न्याय करूँगा और तुम यह समझ जाओगे कि मैं ही प्रभु हूँ।

11) यह नगर तुम्हारे लिए कड़ाह नहीं होगा और तुम इस में माँस नहीं बनोगे। मैं इस्राएल की सीमा पर तुम्हारा न्याय करूँगा।

12) और तुम यह समझ जाओगे कि मैं ही प्रभु हूँ। तुमने न तो मेरे आदेशों के अनुसरण किया है और न मेरे रीति-रिवाजों का पालन किया है, बल्कि तुमने अपने पड़ोस के राष्ट्रों के विधि-निषेधों के अनुसार कार्य किया है।“

13) मैं भवियवाणी कर ही रहा था कि बनाया के पुत्र पलट्या की मृत्यु हो गयी। इस पर मैं अपने मुँह के बल गिर गया और ऊँचे स्वर से पुकारते हुए बोला, “प्रभु-ईश्वर! क्या तू इस्राएल के अवशेष को भी एकदम मिटा देगा?“

14) मुझे प्रभु-ईश्वर की यह वाणी सुनाई पड़ी,

15) “मानवपुत्र! तुम्हारे भाई-बन्धु इस्राएल का समस्त घराना, सब-के-सब वही हैं, जिनके विषय में येरूसालेम के निवासी यह कहते हैं, ’वे प्रभु से दूर भटक गये हैं और यह देश विरासत में हमें दिया गया है’।

16) इसलिए यह कहो, ’प्रभु-ईश्वर यह कहता हैः मैंने उन्हें राष्ट्रों में भगा दिया है और देशों में बिखेर दिया है। वे जिन देशों में गये हैं, उन में मैं ही कुछ समय तक उनका आश्रय था’।

17) इसलिए यह कहो, ’प्रभु-ईश्वर कहता है- मैं तुम्हें राष्ट्रों में से एकत्र करूँगा, उन देशों से इकट्ठा करूँगा, जहाँ तुम बिखेर दिये गये हो और तुम्हें इस्राएल की भूमि प्रदान करूँगा’।

18) वे वहाँ लौटेंगे और वहाँ से सब वीभत्स मूर्तियों और वीभत्स कर्मों का बहिष्कर कर देंगे।

19) मैं उन्हें एक नया हृदय प्रदान करूँगा और उन में एक नयी आत्मा रख दूँगा। मैं उनके शरीर से पत्थर का हृदय निकाल कर उन्हें रक्त मांस का हृदय प्रदान करूँगा,

20) जिससे वे मेरी संहिता पर चलें और ईमानदारी से मेरी आज्ञाओं का पालन करें। इस से वे मेरी प्रजा होंगे और मैं उनका ईश्वर होऊँगा।

21) किन्तु जिन लोगों का हृदय अपनी घृणित मूर्तियों और अपने वीभत्स कर्मों में संलग्न है, मैं उनकी करनी का दोष उनके सिर पर डालूँगा। यह प्रभु-ईश्वर की वाणी है।

22) इसके बाद केरूबों ने, अपने साथ के पहियों के साथ, अपने पंख ऊपर फैला दिये। इस्राएल के ईश्वर की महिमा उनके ऊपर विराजमान थी।

23) प्रभु की महिमा नगर के बीच से ऊपर उठी और पर्वत पर टिक गयी, जो नगर के पूर्व में है।

24) आत्मा मुझे उठा कर ऊपर ले गया और ईश्वर के आत्मा की प्रेरणा से दिव्य दृश्य में मुझे निर्वासितों के पास खल्दैया ले गया। तब वह दिव्य दृश्य, जो मैंने देखा था, लुप्त हो गया

25) और मैंने निर्वासितों से वे सभी बातें कही, जो प्रभु ने मुझे दिखायी थीं।



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