📖 - सूक्ति ग्रन्थ

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अध्याय 28

1) दुष्ट भाग जाता, यद्यपि कोई उसका पीछा नहीं करता; किन्तु धर्मी सिंह-षावक की तरह आश्वस्त रहता है।

2) विद्रोही देश में बहुत-से शासक होते है। समझदार और अनुभवी व्यक्ति द्वारा व्यवस्था दीर्घकाल तक सुदृढ़ रहती है।

3) दरिद्रों का शोषण करने वाला शासक फसल नष्ट करने वाली मूसलाधार वर्षा जैसा है।

4) संहिता का परित्याग करने वाले दुष्टों की प्रशंसा करते हैं; संहिता का पालन करने वाले उनका विरोध करते हैं।

5) दुष्ट नहीं समझते कि न्याय क्या है। प्रभु की खोज में लगे रहने वाले उसे अच्छी तरह समझते हैं।

6) कपटी धनी व्यक्ति की अपेक्षा सदाचारी दरिद्र कहीं अच्छा है।

7) संहिता का पालन करने वाला पुत्र समझदार है, किन्तु जो दावत उड़ाने वालों की संगति करता, वह अपने पिता का कलंक है।

8) जो ब्याज और सूदखोरी से अपना धन बढ़ाता, वह उसे दरिद्रों पर दया करने वाले के लिए एकत्र करता है।

9) जो संहिता के पाठ पर कान नहीं लगाता, उसकी प्रार्थना भी घृणित है।

10) जो धर्मी को कुमार्ग पर ले चलता, वह स्वयं गड्ढे में गिरेगा; किन्तु निर्दोष व्यक्ति को सुख-शान्ति प्राप्त होगी।

11) धनी अपने को बुद्धिमान् समझता, किन्तु समझदार दरिद्र उसका भण्डाफोड़ करता है।

12) जब धर्मी विजयी हैं, तो महोत्सव होता है। जब दुष्ट प्रबल हैं, तो सभी लोग छिप जाते हैं।

13) जो अपने पाप छिपाता, वह उन्नति नहीं करेगा; जो उन्हें प्रकट कर छोड़ देता, उस पर दया की जायेगी।

14) धन्य है वह मनुष्य, जो सदा प्रभु पर श्रद्धा रखता है! जो अपना हृदय कठोर कर लेता, वह विपत्ति का शिकार बनेगा।

15) दरिद्र जनता पर शासन करने वाला दुष्ट दहाड़ते सिंह या शिकार के भूखे रीछ जैसा है।

16) नासमझ शासक अपनी प्रजा को लूटा करता है। अन्याय के धन से घृणा करने वाले की आयु लम्बी होगी।

17) रक्तपात का दोषी कब तक मारा-मारा फिरता रहेगा - उसे कोई न रोके।

18) जो सन्मार्ग पर चलता, वह सुरक्षित है। जो कुमार्ग पर चलता, वह अचानक गड्ढे में गिरेगा।

19) जो अपनी भूमि जोतता, उसे रोटी की कमी नहीं होगी। जो व्यर्थ के कामों में लगा रहता, वह दरिद्रता का शिकार बनेगा।

20) ईमानदार व्यक्ति को प्रचुर आशीर्वाद प्राप्त होगा। जो जल्दी धनी बनना चाहता, उसे दण्ड दिया जायेगा।

21) पक्षपात करना अनुचित है, किन्तु रोटी के टुकड़े के लिए मनुष्य पाप कर सकता है।

22) ईर्ष्यालु व्यक्ति धन के लिए तड़पता है; वह नहीं जानता कि वह दरिद्र बनेगा।

23) चापलूसी करने वाले की अपेक्षा डाँटने वाला कृपापात्र बनता है।

24) जो अपने माता-पिता की चोरी करता और कहता है: "यह पाप नहीं है", वह डाकुओें का साथी है।

25) लालची व्यक्ति झगड़ा पैदा करता, किन्तु प्रभु का भरोसा करने वाला फलेगा-फूलेगा।

26) अपनी बुद्धि का भरोसा करने वाला मूर्ख है, किन्तु प्रज्ञा के मार्ग पर चलने वाला सुरक्षित रहेगा।

27) दरिद्र को दान देने वाले को किसी बात की कमी नहीं होगी। उसकी ओर से आँखे बन्द करने वाला अभिशापों का शिकार बनेगा।

28) जब दुष्ट प्रबल है, तो सभी लोग छिप जाते हैं। जब वे नष्ट हो जाते हैं, तो धर्मी फलते-फूलते हैं।



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