1) जो लोग अभी तक तम्बुओं में थे, वे इस घटना के विषय में सुन कर दंग रह गये।
2) वे इतने भयभीत और आतंकित हो उठे कि कोई भी अपने सैनिक दल के साथियों के साथ नहीं रहा। सब-के-सब तितर-बितर हो कर मैदान और पहाड़ी प्रदेश के सब मार्गों पर भाग निकले।
3) वे लोग भी भाग निकले, जो बेतूलिया के आसपास के पर्वतों पर तम्बू डाले पड़े थे। अब सब इस्राएली सैनिक उन पर टूट पड़े ।
4) उज़्ज़ीया ने बतोमेस्ताईम, बेबय खोबय, कोला और समस्त इस्राएल में दूतों द्वारा इन घटनाओं की सूचना भेजी और आदेश दिया कि सब लोग शत्रुओं पर आक्रमण कर उनका वध करें।
5) इस्राएलियों ने जैसे ही यह सुना, वैसे ही वे सभी एक साथ उन पर टूट पड़े और उन को खोबा तक खदेड़ दिया। येरूसालेम और पहाड़ी प्रदेश के निवासी भी पहुँचे; क्योंकि उन्हें शत्रुओं के पड़ाव की घटनाओं की सूचना दे दी गयी थी। गिलआद और गलीलिया के निवासी उन पर कठोर प्रहार करते हुए उन्हें दमिश्क और उसके प्रदेश तक खदेड़ते रहे।
6) बेतूलिया के निवासियों ने अस्सूरियों के पड़ाव में घुस कर उन्हें लूटा और उनके हाथ बहुत सारा धन लगा।
7) युद्ध से लौटने वाले इस्राएलियों ने शेष सामान हथिया लिया। पहाड़ी प्रदेश और मैदान के गाँवों और बस्तियों के लोगों को भी लूट का बहुत धन मिला, क्योंकि वहाँ अपार सामग्री पड़ी हुई थी।
8) महायाजक योआकीम और येरूसालेम में रहने वाले नेता यह देखने आये कि प्रभु ने इस्राएल के लिए क्या उपकार किया था और इसलिए भी कि वे यूदीत के दर्शन करें और उसे बधाई दें।
9) उसके पास आ कर सब ने एक स्वर से उसे आशीर्वाद देते हुये कहा, "तुम येरूसालेम की महिमा, इस्राएल का गौरव और हमारी जाति की कीर्ति हो।
10) तुमने यह सब अपने ही हाथ से किया। तुमने इस्राएल का कल्याण किया और ईश्वर तुम्हारे कार्य से प्रसन्न है। भद्रे! सर्वशक्तिमान् ईश्वर का आशीर्वाद तुम्हें अनन्त काल तक प्राप्त हो!’ इस पर सारी जनता ने कहा, "आमेन, आमेन!’
11) जनता तीस दिनों तक पड़ाव लूटती रही। लोगों ने यूदीत को होलोफ़ेरनिस का तम्बू, उसकी समस्त चाँदी, पलंग, पात्र और सारा सामान दे दिया। उसने यह सब स्वीकार किया और अपनी गाड़ियों पर लदवा कर उन में अपने खच्चर जुतवाये।
12) इस्राएल की सब स़्त्रियाँ उसे देखने के लिए एकत्रित हुईं। उन्होंने उसकी प्रशंसा की और उसके सम्मान में नृत्य किया। यूदीत ने हाथ से टहनियाँ तोड़ कर अपने साथ की स्त्रियों को दे दीं।
13) और उन सब ने जैतून की टहनियों का मुकुट पहन लिया। यूदीत नृत्य करती हुई सब स्त्रियों के आगे-आगे चली और इस्राएल के सब सैनिक अस्त्र-शस्त्र धारण किये, मुकुट पहने और भजन गाते उनके पीछे-पीछे चल रहे थे।
14) तब यूदीत सब इस्राएलियों के सामने यह गीत गाने लगी और सब लोग प्रभु का यह स्तुतिगान ऊँचे स्वर में गाने लगे।