1) उन्होंने उसके पास सन्धि के दूत भेजे। उन्होंने कहा,
2) "हम, राजाधिराज नबूकदनेज़र के दास, आपके पाँव पड़ते हैं। आप जैसा चाहें, हमारे साथ वैसा ही करें।
3) हमारे बाड़े, हमारे सब घर-द्वार, हमारे गेहूँ के सभी खेत, हमारा पशुधन और हमारी गोशालाएँ-यह सब आपका है। आप जैसा चाहें, उनके साथ वैसा ही करें।व 4) हमारे नगर आपके हैं, उनके निवासी आपके दास हैं। आप हमारे यहाँ पधारें और वही करें, जो आप को उत्तम जान पड़े।"
5) वे दूत होलोफ़ेरनिस के पास गये और उसे यह सन्देश सुनाया।
6) इसके बाद उसने अपनी सेना-सहित समुद्रतट के प्रान्त में प्रवेश किया। उसने क़िलाबन्द नगरों में रक्षक-सेना रख दी और उन जातियों में से सहायक सैनिकों का चुनाव किया।
7) उन्होंने और आसपास के सब लोगों ने मालाएँ लिये नाचते और डफली बजाते हुए उसका स्वागत किया।
8) परन्तु उसने उनका प्रान्त उजाड़ दिया और उनके पूजा-कुंज कटवाये ; क्योंकि उसने पृथ्वी भर के देवताओं का विनाश करने का संकल्प किया, जिससे सब राष्ट्र केवल नबूकदनेज़र की आराधना करें और सभी जातियाँ एक स्वर से उसे देवता के रूप में स्वीकार करें।
9) इसके बाद वह दोतान के पास एस्द्रालोन आया, जो यहूदिया की पर्वतश्रेणी के सामने है।
10) उसने गाबै और स्कूतापुलिस के बीच पड़ाव डाला। वहाँ अपनी सेना का रसद एकत्रित करने के लिए वह महीना भर रुका रहा।