1) यहूदिया में रहने वाले इस्राएलियों ने सुना कि अस्सूरियों के राजा नबूकदनेज़र के प्रधान सेनापति होलोफ़ेरनिस ने उन लोगों के साथ क्या-क्या किया था, अर्थात् उसने किस प्रकार उनके सब देवालयों को लुटवा कर नष्ट कर दिया था।
2) यह सुन कर वे उस से भयभीत हुए और येरूसालेम और प्रभु-ईश्वर के मन्दिर के कारण घबरा गये;
3) क्योंकि थोड़े समय पहले ही वे निर्वासन से लौटे थे, यूदा की जनता एकत्र हो गयी थी और पात्रों, वेदी और ईश्वर के मन्दिर का दूषण दूर कर इन सब की शुद्धि की गयी थी।
4) इसलिए उन्होंने समस्त समारिया प्रान्त, कोना, बेत-होरोन, बेलमैल, येरीख़ो, खोबा, ऐसोरा और सालेम के मैदान के निवासियों को एक सन्देश भेजा।
5) उन्होंने ऊँचे पर्वतों के सब शिखर अपने अधिकार में कर लिये, उन पर अवस्थित सब गाँवों के चारों ओर दीवारें बनवायीं और क्योंकि हाल में फ़सल कटी थी, उन्होंने युद्ध के लिए रसद एकत्र किया।
6) येरूसालेम के तत्कालीन प्रधानयाजक योआकीम ने बेतूलिया और एस्द्रालोन के सामने, दोतान के निकटवर्ती मैदान में अवस्थित बेतोमेस्ताईम के निवासियों को लिखा
7) कि वे पहाड़ों की सब घाटियाँ अपने अधिकार में कर ले; क्योंकि उन से हो कर यहूदिया जाया जा सकता था। वहाँ किसी को आगे बढ़ने से रोकना आसान था; क्योंकि प्रवेश-मार्ग इतना सँकरा था कि केवल दो आदमी एक साथ जा सकते थे।
8) इस पर इस्राएलियों ने प्रधानयाजक योआकीम और येरूसालेम में रहने वाले समस्त इस्राएल की समिति के नेताओं के आदेश का पालन किया।
9) सभी इस्राएलियों ने आग्रहपूर्वक ईश्वर की दुहाई दी और ईश्वर के सामने दीन बन कर कठोर उपवास किया।
10) वे, उनकी पत्नियाँ, उनके बाल-बच्चे, उनके पशु, उनके सब प्रवासी, मज़दूर और दास-सब ने टाट ओढ़ लिये।
11) येरूसालेम के प्रत्येक इस्राएली पुरुष, स्त्री और बच्चे-सब ने मन्दिर के सामने दण्डवत् किया। उन्होंने अपने-अपने सिर पर राख डाली और अपने टाट के वस्त्र प्रभु के सामने फैला दिये।
12) उन्होंने वेदी को भी टाट से ढक दिया। वे एक स्वर से आग्रहपूर्वक इस्राएल के ईश्वर की दुहाई देते रहे, जिससे वह यह न होने दे कि उनके बच्चों का अपहरण हो, उनकी पत्नियों को बन्दी बनाया जाये, उनके दायभाग के नगरों का विनाश हो और विजयी राष्ट्रों द्वारा उनके मंदिर का अपत्रीकरण और अपमान किया जाये।
13) प्रभु ने उनकी पुकार सुनी और उनकी विपत्ति पर ध्यान दिया। समस्त यहूदिया में और येरूसालेम के सर्वशक्तिमान् ईश्वर के मन्दिर के सामने लोग कई दिनों तक उपवास करते रहे।
14) प्रधानयाजक योआकीम, प्रभु के सामने उपस्थित सब याजक और प्रभु के मन्दिर के सब सेवक कमर में टाट बाँधे दैनिक होम-बलि, मन्नत की बलियाँ और लोगों द्वारा दिये हुए स्वेच्छा से अर्पित बलिदान चढ़ाते रहे।
15) वे अपनी पगड़ियों पर राख डाल कर ज़ोर-ज़ोर से प्रभु की दुहाई दे रहे थे, जिससे वह इस्राएल के समस्त घराने पर कृपादृष्टि करे।