📖 - समूएल का पहला ग्रन्थ

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अध्याय 27

1) दाऊद ने अपने मन में सोचा, "एक दिन साऊल मुझे अवश्य मार डालेगा। इस से तो मेरे लिए यही अच्छा रहेगा कि मैं भाग कर फ़िलिस्तियों के देश चला जाऊँ। इस तरह साऊल इस्राएल के समस्त प्रदेश में मुझे ढूँढ़ना छोड़ देगा और मैं उसके हाथ से बच निकलूँगा।"

2) इसलिए दाऊद अपने छः सौ आदमियों के साथ गत के राजा माओक के पुत्र आकीश के यहाँ चला गया।

3) दाऊद अपने आदमियों के साथ गत में आकीश के यहाँ रहने लगा। प्रत्येक व्यक्ति के साथ उसका परिवार भी था। दाऊद के साथ उसकी दोनों पत्नियाँ थीं- यिज्रएल की अहीनोअम और करमेल की अबीगैल, जो नाबाल की विधवा थी।

4) जब साऊल को समाचार मिला कि दाऊद गत भाग गया, तो उसने उसकी तलाश करना छोड़ दिया।

5) दाऊद ने आकीश से यह निवेदन किया, "यदि मैं आपका कृपापात्र बन गया हूँ, तो मुझे देहात के किसी कस्बे में रहने के लिए स्थान मिल जाये। आपका दास आपके पास यहाँ राजधानी में क्यों निवास करे!"

6) इस पर आकीश ने उसी दिन उसे सिकलग दे दिया। इसलिए सिकलग आज तक यूदा के राजाओं के अधिकार में है।

7) दाऊद फ़िलिस्तियों के देश में एक साल और सात महीने तक रहा।

8) दाऊद अपने आदमियों को साथ ले कर गशूरियों, गिर्जि़यों और अमालेकियों पर छापे मारता रहा। ये जातियाँ प्राचीन काल से मिस्र की ओर शूर तक बसी हुई थीं।

9) जब दाऊद उस क्षेत्र पर आक्रमण करता, तो वह एक भी पुरुष या स्त्री को जीवित नहीं छोड़ता। वह उनकी भेडें, गायें, गधे, ऊँट और कपडे़ - सब छीन कर आकीश के यहाँ लौट आता।

10) जब आकीश पूछता कि तुमने आज कहाँ छापा मारा, तो दाऊद उत्तर देता, "यूदा के नेगेब में," या "यरह-मएलियों के नेगेब में,“ या “केनियो के नेगेब में।“

11) दाऊद न पुरुषों को जीवित छोड़ता था और न स्त्रियों को, जिसने उन में कोई गत पहुँॅच कर यह न बता दे कि दाऊद ने हमारे साथ ऐसा किया है। जब तक वह फ़िलिस्तियों के देश में रहा, तब तक ऐसा ही करता रहा।

12) आकीश का दाऊद पर विश्वास था; क्योंकि वह सोचता था कि उसके देश-भाई इस्राएली उस से इतनी घृणा करते हैं कि वह सदा मेरा सेवक बना रहेगा।



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