📖 - समूएल का पहला ग्रन्थ

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अध्याय 22

1) वहाँ से चल कर दाऊद अदुल्लाम की गुफा पहुँचा। जब उसके भाइयों और उसके सब सम्बन्धियों को इसका पता चला, तो वे वहाँ उसके पास आये।

2) इसके बाद जो लोग संकटग्रस्त, कर्जदार या विद्रोही थे , वे सब उसके पास इकट्ठे हो गये। दाऊद उनका नेता बन गया। उसके साथ लगभग चार सौ आदमी हो गये।

3) वहाँ से दाऊद मोआब के मिस्पे गया और उसने मोआब के राजा से निवेदन किया, "जब तक मैं यह नहीं जान लेता कि ईश्वर मेरे साथ क्या करने वाला है, क्या तब तक मेरे माता-पिता आपके यहाँ रह सकते हैं?"

4) तब वह उन्हें मोआब के राजा के पास ले गया और जब तक दाऊद शरण-स्थान में रहा, तब तक वे उसके पास पडे़ रहे।

5) नबी गाद ने दाऊद से कहा, "अपने शरण-स्थान में मत रहो। यहाँ से यूदा प्रदेश चले जाओ।" इसलिए दाऊद वहाँ से प्रस्थान कर हेरेत वन चला गया।

6) साऊल को पता चल गया कि दाऊद और उसके साथ के आदमी कहाँ हैं। उस समय साऊल हाथ में भाला लिये, पहाड़ी पर गिबआ के पास, झाऊ के वृक्ष के नीचे बैठा था और उसके सब आदमी उसके आसपास खड़े थे।

7) साऊल ने अपने आसपास खडे़ लोगों से कहा, "बेनयामीन के वंशजों! मेरी बात सुनो। क्या यिशय का पुत्र तुम सब को खेत और दाखबारी देगा? या क्या वह तुम सब को सहस्रपति और शतपति बना देगा?

8) क्या तुमने इसलिए मेरे विरुद्ध षडयन्त्र रचा है? जब मेरा पुत्र यिशय के पुत्र से मित्रता करता, तो कोई मुझे यह बात नहीं बताता। तुम में कोई मेरी चिन्ता नहीं करता, कोई मुझे चेतावनी नहीं देता कि मेरे पुत्र ने मेरे नौकर को मेरी घात में बैठने के लिए उकसाया, जैसा कि आज हो रहा है।

9) इस पर एदोमी दोएग ने, जो साऊल के आदमियों के साथ खड़ा था, कहा, "मैंने देखा था कि यिशय का पुत्र, अहीटूब के पुत्र अहीमेलेक के पास नोब आया था।

10) उसने उसके लिए प्रभु से पूछा, उसे खाने को दिया और उसे फ़िलिस्ती गोलयत की तलवार भी दे दी।"

11) इस पर राजा ने अहीटूब के पुत्र याजक अहीमेलेक, उसके सभी सम्बन्धियों, नोब के याजकों को बुलवाया। जब वे सब राजा के सामने उपस्थित हुए,

12) तब साऊल ने कहा, "अहीटूब के पुत्र, सुनो!" उसने उत्तर दिया, "प्रस्तुत हूँ, स्वामी।"

13) साऊल ने उस से पूछा, "क्यों तुम लोग, तुम और यिशय का पुत्र, मेरे विरुद्ध षड्यन्त्र रच रहे थे? तुमने उसे रोटियाँ दी, तलवार दी और तुमने उसके लिए ईश्वर से पूछा, जिससे वह मुझ से विद्रोह कर मेरे विरुद्ध षड्यन्त्र रच रहा है, जैसा आज हो रहा है।"

14) अहीमेलेक ने राजा को उत्तर दिया, "राजा के सब सेवकों में दाऊद के समान स्वामीभक्त और कौन है? वह राजा का दामाद है, आपके अंग रक्षकों का अध्यक्ष है और आपके घर में उसका आदर है।

15) क्या यह पहली बार है कि मैंने उसके लिए ईश्वर से पूछा? एकदम नहीं। राजा को अपने सेवक या मेरे सम्बन्धियों पर ऐसा झूठा आरोप नहीं लगाना चाहिए; क्योंकि आपके दास को इस सम्बन्ध में कोई भी छोटी या बड़ी बात मालूम नहीं है।"

16) लेकिन राजा ने कहा, "अहीमेलेक! तुम्हें और तुम्हारे सब सम्बन्धियों को निश्चय ही मरना होगा"

17) और तब राजा ने अपने पास खडे़ अंगरक्षकों को आज्ञा दी, "यहाँ आओ और प्रभु के इन याजकों को मार डालो, क्योंकि इन्होंने दाऊद का पक्ष लिया है। इन्हें पता था कि वह भाग रहा है, परन्तु इन्होंने मुझे नहीं बताया।" राजा के सेवकों ने प्रभु के याजकों पर हाथ उठाने से इनकार किया।

18) इसलिए राजा ने दोएग को आज्ञा दी, "तुम यहाँ आओ और इन याजकों का वध करो।" तब एदोमी दोएग ने याजकों पर प्रहार किया और उसी दिन उसने पचासी पुरुषों का वध किया, जो छालटी के एफ़ोन पहने हुए थे।

19) उसने याजकों के नगर नोब में पुरुषों, स्त्रियों, बच्चों, दुधमुंँहों, बैलों, गधों, भेड़ों-सब को तलवार के घाट उतार डाला।

20) केवल अहीटूब के बेटे अहीमेलेक के पुत्रों में एक, जिसका नाम एबयातर था, अपने को बचा कर दाऊद के पास भाग गया।

21) एबयातर ने दाऊद को बताया कि साऊल ने प्रभु के याजकों को मरवा डाला है।

22) दाऊद ने एबयातर से कहा, "जिस दिन एदोमी दोएग वहाँ था, उसी दिन मुझे मालूम हो गया था कि वह साऊल से यह बात अवश्य कह देगा। मैं ही तुम्हारे पिता के कुटुम्ब के सारे लोगों की मृत्यु का कारण हूँ।

23) तुम मेरे साथ रहो और मत डरो। जो मेरे प्राणों का गाहक है, वही तुम्हारे भी प्राण लेना चाहता है। मेरे यहाँ तुम सुरक्षित रहोगे।"



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