📖 - समूएल का पहला ग्रन्थ

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अध्याय 21

1) इसके बाद दाऊद उठ कर चला गया और योनातान नगर लौट आया।

2) दाऊद नोब में याजक अहीमेलेक के पास आया। अहीमेलेक दाऊद से डरते-डरते मिला और उस से पूछा, "तुम अकेले क्यों आये हो? तुम्हारे साथ कोई क्यों नहीं आया?"

3) दाऊद ने याजक अहीमेलेक को उत्तर दिया, "राजा ने मुझे पर विशेष कार्य के लिए भेजते हुए मुझ से कहा-मैं जिस कार्य के लिए तुम्हें भेज रहा हूँ, उसके विषय में कोई नहीं जान पाये’। इसलिए मैंने अपने सैनिकों को एक निश्चित जगह पर मुझ से मिलने कहा है।

4) क्या आपके पास कुछ है? मुझे पाँच रोटियाँ दें या वही, जो आपके पास हो।"

5) याजक ने दाऊद से कहा, "मेरे पास साधारण रोटियाँ नहीं हैं। केवल पवित्र रोटियाँ हैं। क्या वे सैनिक स्त्री-संसर्ग से दूर रहे हैं?"

6) दाऊद ने याजक को उत्तर दिया, "हमारा संसर्ग स्त्रियों से नहीं हुआ। जब मैं साधारण कामों के लिए बाहर निकलता हूँ, तब सैनिकों के शरीर शुद्ध रहते हैं और फिर आज तो उनके शरीर और अधिक शुद्ध होंगे।"

7) इस पर याजक ने उसे पवित्र रोटियाँ दे दीं; क्योंकि वहाँ केवल भेंट की ही रोटियाँ थीं, जो प्रभु के सामने से ताज़ी रोटियाँ रखने के समय उठा ली जाती हैं।

8) उस दिन साऊल का एक नौकर प्रभु के स्थान में ठहरा हुआ था। वह दोएग नामक एदोमी और साऊल का प्रमुख चरवाहा था।

9) दाऊद ने अहीमेलेक से पूछा, "यहाँ आपके पास कोई भाला या तलवार नहीं है? मुझे राजा के काम की इतनी जल्दी थी कि मैं अपनी तलवार या कोई अन्य हथियार अपने साथ न ला सका।"

10) याजक ने उत्तर दिया, "फिलिस्ती गोलयत की तलवार, जिसे तुमने एला की घाटी में मार डाला था, एफ़ोद के पीछे कपडे़ में लपेट कर रखी हुई है। यदि तुम उसे लेना चाहते हो, तो ले लो। उसके सिवा और कुछ नहीं है।" दाऊद ने उत्तर दिया, "उसके समान और कोई तलवार नहीं है। मुझे वहीं दे दीजिए।"

11) दाऊद उस दिन साऊल से भागते हुए। गत के राजा आकीश के पास पहुँचा।

12) आकीश के सेवकों ने उस से कहा, "यह तो वही दाऊद है, जो देश का राजा है। इसी के सम्मान में तो नाचते हुए गाया जाता था: साऊल ने सहस्रों को मारा और दाऊद ने लाखों को।"

13) यह सुन कर दाऊद के मन को चोट लगी और वह गत के राजा आकीश से बहुत डर गया।

14) इसलिए वह उसके सामने पागल-पन का स्वांँग भरने लगा और उन्होंने उसे पकड़ लिया, तो वह पागल की तरह उसके सामने फाटक के किवाडों के ऊपर कुछ निशान बनाने और अपनी दाढ़ी पर लार टपकाने लगा।

15) आकीश ने अपने सेवकों से कहा, ‘देखते हो न कि यह आदमी पागल है। तुम उसे मेरे पास क्यों लाये हो?

16) क्या मेरे यहाँ पागलों की कमी है, जो तुम उसे मेरे सामने उसका पागलपन दिखलाने लाये हो? क्या वह मेरे घर के भीतर जायेगा?"



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