📖 - निर्गमन ग्रन्थ

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अध्याय - 28

1) ''इस्राएलियों में से अपने भाई हारून और उसके पुत्र नादाब और अबीहू, एलआजार और ईतामार को बुलाओ, जिससे वे मेरे लिए याजक का काम करें।

2) अपने भाई हारून के लिए, उसकी मर्यादा और शोभा के लिए, पवित्र वस्त्र सिलवाओ।

3) उन सब कुशल शिल्पकारों को, जिन्हें मैंने इस विषय में प्रतिभा दी हैं, बताओ कि वे हारून के अभिषेक के लिए वस्त्र बनायें, जिससे वह मेरे लिए याजक का काम कर सके।

4) वे ये वस्त्र बनायें - वक्षवेटिका, एफोद, अँगरखा, बेलबूटेदार कुरता, पगड़ी और कमरबन्द। वे तुम्हारे भाई हारून और उसके पुत्रों के लिए ये पवित्र वस्त्र बनायें, जिससे वे इन्हें पहन कर मेरे लिए याजक का काम करें।

5) वे सोने के तार, नीले, बैंगनी और लाल रंग के कपड़े और छालटी का उपयोग करें।

6) ''तुम एक कुशल शिल्पकार द्वारा सोने के तारों से, नीले, बैंगनी और लाल रंग के कपड़ों तथा बटी हुई छालटी से एफोद बनवाओ।

7) कन्धे की दो पट्टियों से उसके दोनों भाग जोड़े जायें।

8) कमरबंद एफ़ोद के साथ बुना हुआ हो और एक ही प्रकार की सामग्री से बना हो, अर्थात् सोने के तारों, नीले, बैंगनी और लाल रंग के कपड़ों और बटी हुई छालटी से।

9) सुलेमानी की दो मणियों पर इस्राएल के पुत्रों के नाम, उनके जन्म-क्रम के अनुसार, अंकित करवाओ-

10) एक मणि पर छह नाम और दूसरी मणि पर शेष छह नाम।

11) जिस प्रकार जैहरी मुद्राओं को उकेरता है, उसी प्रकार तुम इन दोनों मणियों पर इस्राएल के पुत्रों के नाम अंकित करवाओ। उन्हें नक्काशी किये हुए सोने के खाँचों में जड़वाओ।

12) इन दोनों मणियों को इस्राएल के पुत्रों की स्मृति-मणियों के रूप में एफ़ोद के कन्धे में लगवाओ। हारून अपने कन्धों पर उनके नाम प्रभु के सामने धारण करेगा और प्रभु को उनका स्मरण दिलायेगा।

13) उन्हें नक्काशी किये हुए सोने के खाँचों में जड़वाओ।

14) इनके सिवा शुद्व सोने की, रस्सियों के समान गुँथी हुई, दो सिकड़ियाँ बनवाओ और इन गुँथी हुई सिकड़ियों को खाँचों में लगवाओ।

15) ''तुम एक कुशल शिल्पकार द्वारा वक्षपेटिका बनवाओ, जो निर्णय देने के काम आयेगी। उसे बेलबूटेदार एफ़ोद के समान बनवाओ। उसे सोने के तारों, नीले, बैंगनी और लाल रंग के कपड़े तथा बटी हुई छालटी से बनवाओ।

16) वह दोहरी और वर्गाकार हो - एक बित्ता लम्बी और एक बित्ता चौड़ी।

17) उस में मणियों की चार पंक्तियाँ लगवाओ। पहली पंक्ति में एक माणिका, एक पुखराज और एक मरकत हो।

18) दूसरी पंक्ति में एक लाल मणि, एक नीलम और एक हीरा हो।

19) तीसरी पंक्ति में एक तृणमणि, एक यशब और एक याकूत।

20) चौथी पंक्ति में एक स्वर्णमणि, एक सुलेमानी और एक सूर्यकान्त मणि। इन्हें नक्काशी किये हुये सोने के खाँचों में लगवाओ।

21) इस्राएल के पुत्रों की संख्या के अनुसार बारह मणियाँ हों। हर मणि पर बारह वंशों का एक नाम अंकित हो जिस तरह मोहरों पर होता है।

22) वक्षपेटिका के लिए बटी हुई डोरियों के रूप में शुद्व सोनो की गूँथी हुई सिकड़ियाँ बनवाओ।

23) वक्षपेटिका के लिए सोने के दो छल्ले भी बनवाओं और इन दोनों छाल्लों को वक्षपेटिका के दोनों सिरों पर लगवाओ।

24) इसके बाद सोने की इन दोनों डोरियों को वक्षपेटिका के सिरों में लगे हुए दोनों छल्लों में लगवाओ।

25) दोनों डोरियों के दूसरे सिरों को नक्काशी किये हुये दोनों खाँचों में जुड़वाओ। उन्हें एफोद के स्कन्ध-भागों, में सामने की ओर लगवाओ।

26) फिर, सोने के दो और छल्ले बनवा कर इन्हें वक्षपेटिका के सिरों पर भीतर की ओर एफ़ोद से सटा कर लगवाओ।

27) सोने के दो और छल्ले बनवाओं और उन्हें एफ़ोद के स्कन्ध-भागों के नीचे, सामने की ओर कमरबन्द के पास लगवाओ।

28) वक्षपेटिका के छल्लों और एफ़ोद के छल्लों को नीली पट्टियों से जुड़वाओ, जिससे वक्षपेटिका एफ़ोद के कमरबन्द से बँधी रहे।

29) जब हारून पवित्र-स्थान में प्रवेश करेगा, तो वह वक्षपेटिका पर अंकित इस्राएल के नाम अपने हृदय पर धारण करेगा। जिससे वह प्रभु को निरन्तर उनका स्मरण दिलाये।

30) वक्षपेटिका में ऊरीम और तुम्मीम रख दो, जिससे हारून उन्हें अपने हृदय पर धारण किये प्रभु के सामने आये। इस प्रकार हारून प्रभु के सामने आते समय इस्राएल के लिए निर्णय करने का उपाय सदा अपने हृदय पर धारण किये रहेगा।

31) ''एफोद का पूरा अँगरेखा नीले कपड़े का बनवाओ।

32) बीच में सिर के लिए एक छेद हो और उस छेद के चारों ओर गरेबान जैसी एक गोट हो, जिससे वह फटे नहीं।

33) उसके निचले घेरे में नीले, बैंगनी और लाल रंग के कपड़े के बने अनार लगवाओ। अँगरखे के नीचले घेरे में चारों तरफ अनारों के बीच में सोने की घंटियाँ लगवाओ।

34) अँगरखें के निचले घेरे में एक अनार के बाद सोने की एक घण्टी हो, फिर एक अनार के बाद फिर एक सोने की घण्टी।

35) हारून सेवा-कार्य करते समय उसे पहन लेगा जब वह प्रभु के सामने पवित्र-स्थान में प्रवेश करेगा ओैर उसमें से निकल आएगा, तो घण्टियों का शब्द सुनाई देगा, ऐसा नहीं होने पर उसकी मृत्यु हो जाएगी।

36) ''शुद्ध सोने का एक पुष्प बनवाओ और मुहर में अंकित अक्षरों की तरह उस पर यह अंकित करवाओ "प्रभु को अर्पित"।

37) तुम उसे नीली डोरी से सामने की ओर पगड़ी में बाँधो।

38) हारून उसे अपने मस्तक पर धारण करेगा और इस से वह इस्रालियों द्वारा अर्पित पवित्र चढ़ावों में जो दोष होंगे उन्हें दूर करेगा। वह उस पुष्प को सदा अपने मस्तक पर धारण करेगा, जिससे चढ़ावे प्रभु को ग्राह हों।

39) ''कुरता और पगड़ी छालटी से बुनवाओ। कमरबन्द बेलबूटेदार हो।

40) हारून के पुत्रों के लिए उनकी मर्यादा शोभा के लिए, कुरता, कमरबन्द ओर टोपी बनवाओ।

41) अपने भाई हारून और उसके पुत्रों को उन्हें पहनाओ और उनका याजक के रूप में अभिषेक करो। उन्हें पवित्र करो, जिससे वे मेरे लिए याजक का काम कर सकें।

42) ''उनका शरीर ढकने के लिए छालटी के जाँघिये बनवाओ।

43) उनकी लम्बाई कमर से जाँघ तक हो। जब हारून और उसके पुत्र दर्शन-कक्ष में प्रवेश करें अथवा पवित्र-स्थान में सेवा करने के लिए वेदी के निकट जायें, तो वे उन्हे धारण करें, जिससे वे अपराधी न बनें और उनकी मृत्यु न हो। यह उसके और उसके बाद होने वाले उसके वंषजों के लिए चिरस्थायी आदेश है।



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