1) मूसा को आज्ञा मिली थी कि ''हारून, नादाब, अबीहू, और इस्राएलियों के बीच में सत्तर नेताओं को साथ ले कर प्रभु के निकट ऊपर आ जाओ। तुम सब दूर से ही आराधना करो।
2) केवल मूसा प्रभु के निकट आ सकेगा, दूसरे निकट नहीं आ सकेंगे। लोग उसके साथ पर्वत पर न चढ़ें।''
3) मूसा ने सीनई पर्वत से उतर कर प्रभु के सब वचन और आदेश लोगों को सुनाये। लोगों ने एक स्वर से इस प्रकार उत्तर दिया, ''प्रभु ने जो कुछ कहा है, हम उसका पालन करेंगे।''
4) मूसा ने प्रभु के सब आदेश लिख दिये और दूसरे दिन, भोर को, उसने पर्वत के नीचे एक वेदी बनायी और इस्राएल के बारह वंशों के लिए बारह पत्थर खड़े कर दिये।
5) उसने इस्राएली नवयुवकों को आदेश दिया कि वे होम-बलि चढ़ायें और शांतियज्ञ के लिए बछड़ों का वध करें।
6) तब मूसा ने पशुओं का आधा रक्त पात्रों में इकट्ठा किया और आधा वेदी पर छिड़का।
7) उसने विधान की पुस्तक ली और उसे लोगों को पढ़ सुनाया। लोगों ने उत्तर दिया, प्रभु ने जो कुछ कहा है, हम उसके अनुसार चलेंगे और उसका पालन करेंगे।
8) इस पर मूसा ने रक्त ले लिया और उसे लोगों पर छिड़कते हुए कहा, ''यह उस विधान का रक्त है, जिसे प्रभु ने उन सब आदेशों के माध्यम से तुम लोगों के लिए निर्धारित किया है।
9) इसके बाद मूसा और हारून, नादाब और अबीहू तथा इस्राएलियों के सत्तर नेता ऊपर आ गये
10) और उन्होंने इस्राएलियों के ईश्वर के दर्शन किये। उसके चरणों के नीचे नीलमणि-जैसा फ़र्श था, जो आकाश की तरह स्वच्छ था।
11) उसने इस्राएली नेताओं को कुछ हानि नहीं पहुँचायी। उन्होंने ईश्वर के दर्शन किये। इसके बाद उन्होंने खाया और पिया।
12) प्रभु ने मूसा से कहा, ''मेरे पास पर्वत पर चढ़ो और वहाँ प्रतीक्षा करो। मैं तुम्हें पत्थर की पाटियाँ दूँगा, जिन पर लोगों को शिक्षा देने के लिए मैंने विधि और आज्ञाएँ अंकित की हैं।''
13) तब मूसा अपने सेवक योशुआ के साथ चल कर ईश्वरीय पर्वत पर गया।
14) उसने नेताओं से कहा, ''जब तक हम तुम्हारे पास वापस न आयें, तुम यहाँ हमारी प्रतीक्षा करो। हारून और हूर तुम्हारे साथ हैं। यदि कोई झगड़ा पैदा हो, तो उनके पास जाओ।''
15) जब मूसा पहाड़ पर ऊपर चढ़ गया, तब बादल ने पर्वत को ढक लिया।
16) प्रभु की महिमा सीनई पर्वत पर उतरी। बादल छह दिनों तक उसे ढके रहा। सातवें दिन उसने बादल के कुहरे के भीतर से मूसा का बुलाया।
17) प्रभु की महिमा इस्राएलियों को पर्वत की चोटी पर धधकती अग्नि-जैसी दिखाई पड़ी।
18) मूसा बादल में प्रवेश कर पहाड़ की चोटी तक चढ़ गया। मूसा चालीस दिन और चालीस रात पहाड़ पर रहा।