1) इस्राएलियों का सारा समुदाय प्रभु की आज्ञा के अनुसार सीन की मरूभूमि से चल पड़ा और बीच-बीच में पड़ाव डाल कर रफीदीम पहुँचा। वहाँ लोगों को पीने का पानी नहीं मिला
2) और वे यह कहते हुए मूसा के विरुद्ध भुनभुनाने लगे, ''हमें पीने को पानी दो।'' मूसा ने उन से कहा, तुम मेरे विरुद्ध क्यों भुनभुनाते हो? ईश्वर को चुनौती क्यों देते हो?
3) लोगों को बड़ी प्यास लगी और वे यह कर मूसा के विरुद्ध भुनभुना रहे थे, ''क्या आप हमें इसलिए मिस्र से निकाल लाये कि हम अपने बाल-बच्चों और पशुओं के साथ प्यास से मर जायें?''
4) मूसा ने प्रभु की दुहाई दे कर कहा, ''मैं इन लोगों का क्या करूँ? ये मुझे पत्थरों से मार डालने पर उतारू हैं।''
5) प्रभु ने मूसा को यह उत्तर दिया, ''इस्राएल के कुछ नेताओं के साथ-साथ लोगों के आगे-आगे चलो। अपने हाथ में वह डण्डा ले लो, जिसे तुमने नील नदी पर मारा था और आगे बढ़ते जाओ।
6) मैं वहाँ होरेब की उस चट्टान पर तुम्हारे सामने खड़ा रहूँगा। तुम उस चट्टान पर डण्डे से प्रहार करो। उस से पानी फूट निकलेगा और लोगों को पीने को मिलेगा।'' मूसा ने इस्राएल के नेताओं के सामने ऐसा ही किया।
7) उसने उस स्थान का नाम "मस्सा" और "मरीबा" रखा; क्योंकि इस्राएलियों ने उसके साथ विवाद किया था और यह कह कर ईश्वर को चुनौती दी थी, ईश्वर हमारे साथ है या नहीं?''
8) अमालेकी लोगों ने आकर रफीदीम में इस्राएलियों पर आक्रमण किया।
9) मूसा ने योशुआ से कहा, ''अपने लिए आदमी चुन लो और कल सुबह अमालेकियों से युद्ध करने जाओ।
10) मैं हाथ में ईश्वर का डण्डा लिये पहाड़ी की चोटी पर खड़ा रहूँगा।'' मूसा के आदेश के अनुसार योशुआ अमालेकियों से युद्ध करने निकला और मूसा, हारून तथा हूर पहाड़ी की चोटी पर चढ़े।
11) जब तक मूसा हाथ ऊपर उठाये रखता था, तब तक इस्राएली प्रबल बने रहते थे और जब वह अपने हाथ गिरा देता था, तो अमालेकी प्रबल हो जाते थे।
12) जब मूसा के हाथ थकने लगे, तो उन्होंने एक पत्थर ला कर भूमि पर रख दिया और मूसा उस पर बैठ गया। हारून और हूर उसके हाथ सँभालते रहे, पहला इस ओर से और दूसरा उस ओर से।
13) इस तरह मूसा ने सूर्यास्त तक अपने हाथ ऊपर उठाये रखा। योशुआ ने अमालेकियों और उनके सैनिकों को तलवार के घाट उतार दिया।
14) इस पर प्रभु ने मूसा से कहा, ''इस घटना की स्मृति बनाये रखने के लिए ग्रन्थ में लिखो और योशुआ को सुनाओ - मैं पृथ्वी पर अमालेकियों का नाम-निशान नहीं रहने दूँगा।''
15) तब मूसा ने एक वेदी बनायी और उसका नाम रखा, ''प्रभु ही मेरी पताका है''
16) और वह बोला, ''पीढ़ी-दर-पीढ़ी प्रभु और अमालेकियों में युद्ध चलता रहेगा, क्योंकि उन्होंने प्रभु के सिंहासन पर हाथ उठाया है।''