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📖 - निर्गमन ग्रन्थ

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अध्याय - 02

1) लेवी वंश के एक व्यक्ति ने एक लेवी वंशी कन्या से विवाह किया।

2) उसकी पत्नी गर्भवती हुई और उसको एक पुत्र उत्पन्ना हुआ। माता ने यह देख कर कि बच्चा सुन्दर है, उसे तीन महीनों तक छिपाये रखा।

3) जब वह उसे और अधिक समय तक छिपा कर नहीं रख सकी, तो उसने बेंत की एक टोकरी ले ली और उस पर चिकनी मिट्टी और डामर का लेप लगाया। उसने उस में बालक को रख कर उसे नील नदी के तट के सरकण्डों के बीच छोड़ दिया।

4) बालक की बहन कुछ दूरी पर यह देखने के लिए खड़ी रहा करती कि उस पर क्या बीतेगी।

5) फिराउन की पुत्री नील नदी में स्नान करने आयी। इस बीच उसकी सखियाँ नदी किनारे घूमती रहीं। उसने सरकण्डों के बीच उस टोकरी को देखा और अपनी दासी को उसे ले आने को भेजा।

6) उसने उसे खोल कर देखा कि उस में एक रोता हुआ बालक पड़ा है। उसे तरस आया और उसने कहा, यह इब्रानियों का कोई बालक होगा।

7) बालक की बहन ने फिराउन की पुत्री के पास आ कर पूछा, क्या मैं इब्रानी स्त्रियों में से किसी दाई को बुला लाऊँ, जो आपके लिए इस बालक को दूध पिलाया करे?

8) फिराउन की पुत्री ने उत्तर दिया, हाँ, यही करो। लड़की बालक की माता को बुला लायी।

9) फिराउन की पुत्री ने उस से कहा, इस बालक को ले जा कर मेरे लिए दूध पिलाओ। मैं तुम को वेतन दिया करूँगी। वह स्त्री बालक को ले गयी और उसने उसे दूध पिलाया।

10) जब बालक बड़ा हो गया, तो वह उसे फिराउन की पुत्री के पास ले गयी। इसने उसे गोद लिया और यह कहते हुए उसका नाम मूसा रखा कि ''मैंने इसे पानी में से निकाला।''

11) जब मूसा सयाना हो गया, तो वह किसी दिन अपने जाति-भाइयों से मिलने निकला। उसने उन्हें बेगार करते देखा और यह भी देखा कि एक मिस्री उसके एक इब्रानी भाई को पीट रहा है।

12) मूसा ने इधर-उधर दृष्टि दौड़ायी और जब उसे पता चला कि वहाँ कोई दूसरा व्यक्ति नहीं हैं, तो उसने मिस्री को मार कर बालू में छिपा दिया।

13) वह दूसरे दिन फिर निकला और उसने दो इब्रानियों को लड़तें देखा। उसने अन्याय करने वाले से कहा, ''तुम अपने भाई को क्यों पीटते हो?''

14) उस व्यक्ति ने उत्तर दिया, ''किसने तुम को हमारा शासक और न्यायकर्ता नियुक्त किया है? क्या तुम मुझ को भी मार डालना चाहते हो, जैसे कि तुमने उस मिस्री को मारा?'' मूसा यह सोच कर डर गया कि यह बात फैल गयी है।

15) फिराउन को भी इसका पता चला और उसने मूसा को मार डालना चाहा। मूसा फिराउन के अधिकार क्षेत्र से भाग निकला और मिदयान देश में बसने गया और वहाँ एक कुएँ के पास बैठ कर विश्राम करने लगा।

16) मिदयानी याजक की सात पुत्रियाँ थीं। वे पानी खींचने आयीं और अपने पिता की भेड़ों को पानी पिलाने के लिए नाँदों में पानी भरने लगी।

17) कुछ चरवाहों ने आकर उन्हें भगाना चाहा, लेकिन मूसा ने उठ कर उनकी सहायता की और उनकी भेड़ों को पानी पिलाया।

18) जब वे अपने पिता रऊएल के पास पहुँची, तो उसने पूछा, ''तुम लोग आज इतनी जल्दी कैसे लौट आयी हो?''

19) उन्होंने उत्तर दिया, ''एक मिस्री ने चरवाहों से हमारी रक्षा की। उसने हमारे लिए पानी तक भर कर भेड़ों को पिलाया।''

20) उसने अपनी पुत्रियों से पूछा, ''वह कहाँ है? उस आदमी को तुम लोग क्यों छोड़ आयी? उसे भोजन करने के लिए बुला लाओ।''

21) जब मूसा ने उस आदमी के साथ रहना स्वीकार किया, तो उसने मूसा का विवाह अपनी पुत्री सिप्पोरा से कर दिया।

22) उससे एक लड़का पैदा हुआ। मूसा ने उसका नाम गेरशोम रखा, क्योंकि उसने कहा कि ''मैं विदेश में एक प्रवासी हूँ।''

23) इस लम्बी अवधि में मिस्र का राजा मर गया। इस्राएली लोग दासता से त्रस्त हो कराहते थे। वे अपनी दासता में पुकारते थे और उनकी दुहाई ईश्वर तक पहुँच गयी।

24) ईश्वर ने उनका कराहना सुना। ईश्वर को इब्राहीम, इसहाक और याकूब के लिए ठहराया अपना विधान याद आया।

25) ईश्वर ने इस्राएलियों की ओर दृष्टि की और उसे उनकी चिन्ता हुई।



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