1) जब से टोबीयाह चला गया, उसका पिता टोबीत उसके लौटने के दिन गिन रहा था। जब दिन पूरे हुए और पुत्र नहीं लौटा,
2) तो उसने कहा, "क्या उसे वहाँ रोका गया है क्या गबाएल की मृत्यु हो गयी है और कोई उसे रूपया नहीं देता?"
3) और वह दुःखी हो गया।
4) उसकी पत्नी अन्ना ने कहा, "मेरा बेटा मर गया है। वह जीवितों में नही रहा। वह क्यों देर कर रहा है?" वह रोने और यह कहते हुए विलाप करने लगी,
5) "बेटा! धिक्कार मुझे, क्योंकि मैंने तुम को, अपनी आँखों की ज्योति को जाने दिया!
6) टोबीत उस से कहता था, "बहन! चुप रहो! चिन्ता मत करो! हमारा बेटा सकुशल है। वहाँ उन दोनों को देर हो गयी होगी। जो व्यक्ति उसके साथ गया, वह ईमानदार है और हमारे भाइयों में से एक है। बहन! उसकी चिन्ता मत करो। वह आ रहा है"
7) वह उस से बोली, "चुप रहो। मुझे धोखा न दो। मेरा बेटा मर गया है।" वह प्रतिदिन बाहर जा कर वह मार्ग देखने जाती, जिस से उसका पुत्र गया था और दिन भर कुछ नहीं खाती। वह सूर्य डूबने के बाद घर आती, रात भर रोते हुए विलाप करती और नहीं सोती। रागुएल ने चौदह दिन तक अपनी पुत्री का विवाहोत्सव मनाने की शपथ खायी थी। उतने दिय के पूरे हो जाने पर टोबीयाह ने उसके पास जा कर कहा, "मुझे जाने की आज्ञा दीजिए। मैं जानता हूँ कि मेरे माता-पिता को विश्वास नहीं है कि वे मुझे फ़िर देखेंगे। पिता! मैं आप से प्रार्थना करता हूँ कि आप मुझे विदा करें, जिससे मैं अपने पिता के पास जाऊँ। मैं आप को बता चुका हूँ कि मैं ने उन्हें किस हालत में छोड़ा था।"
8) इस पर रागुएल ने टोबीयाह से कहा, "बेटा! ठहरो, मेरे पास रहो। मैं तुम्हारे पिता टोबीत के पास दूत भेजूँगा, जो उन्हें तुम्हारे विषय में समाचारदेंगे।"
9) उसने उत्तर दिया, "नहीं, मैं आप से प्रार्थना करता हूँ कि आप मुझे यहाँ से विदा कर पिता के पास जाने दें"।
10) रागुएल ने उठ कर टोबीयाह को उसकी पत्नी और आधी सम्पत्ति के अतिरिक्त दास-दासियाँ, भेड़ें और बैल, गधे और ऊँट, कपड़े, रूपया और पात्र दिये।
11) उसने उन्हें विदा कर जाने दिया और टोबीयाह से यह कहा, "बेटा! स्वस्थ रहो, सकुशल जाओ। स्वर्ग का ईश्वर तुम्हारा पथ प्रदर्शन करे। आशा है, मुझे मरने से पहले तुम दोनों के पुत्र देखने का सौभाग्य प्राप्त होगा।"
12) उसने अपनी पुत्री सारा का चुम्बन किया और उस से कहा, "बेटी! अपने सास-ससुर का आदर करना; क्योंकि वे अब से उसी तरह तुम्हारे माता-पिता हैं, जैसे हम हैं, जिन्होंने तुम को उत्पन्न किया है। बेेटी! शान्ति में जाओ। मैं तुम्हारे विषय में जीवन भर अच्छी बातें सुनता रहूँ।" उसने उसका चुम्बन किया और दोनों को विदा किया। एदना ने टोबीयाह से कहा, पुत्र और प्रिय भाई! स्वर्ग का ईश्वर तुम्हारी रक्षा करे, जिससे मैं मरने से पहले तुम्हारे और अपनी पुत्री सारा के पुत्र देख सकूँ और प्रभु के सामने आनन्द मनाऊँ। मैं तुम को अपनी बेटी सौंपती हूँ। उसे जीवन भर कभी कष्ट नहीं देना। बेटा! शान्ति में जाओ। अब से मैं तुम्हारी माता हूँ और सारा तुम्हारी बहन है। हम सबों का जीवन भर कुशल-क्षेम हो।" उसने दोनों का चुम्बन किया और उन्हें सकुशल विदा किया।
13) तब टोबीयाह ने आनन्दित हो कर प्रस्थान किया और स्वर्ग तथा पृृृथ्वी के सर्वेश्वर प्रभु का धन्यवाद किया, जिसने उसका पथ प्रदर्शन किया। उसने रागुएल और एदना के प्रति यह कहते हुए शुभकामना प्रकट की, "मुझे यह सौभाग्य प्राप्त हो कि जब तक आप जीते रहें, मैं आपका आदर माता-पिता की तरह करता रहूँ"।