📖 - टोबीत का ग्रन्थ

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अध्याय 06

1) यह सुनने पर पर उसने रोना बन्द कर दिया।

2) पुत्र स्वर्गदूत के साथ चला गया; कुत्ता उसके साथ निकल कर दोनों के पीछे हो लिया। चलते-चलते शाम हो गयी और उन्होंने पहली रात दज़ला नदी के तट पर बितायी।

3) जब टोबीयाह स्नान करने नदी गया, तो नदी से एक बड़ी मछली निकली और उसने लपक कर उसका पैर निगलना चाहा।

4) स्वर्गदूत ने उस से कहा, "मछली पकड़ लो"। युवक ने वह मछली पकड़ कर उसे सूखी भूमि पर पटक दिया।

5) स्वर्गदूत ने उस से कहा, "मछली को काट कर उसका दिल, कलेजा और पित्तकोष सुरक्षित रख लो। उसकी अँतड़ियाँ फेंक दो। दिल, कलेजा और पित्तकोष दवा के काम आते हैं।"

6) युवक ने मछली काट कर दिल, कलेजा और पित्तकोष अलग रखा। उसने मछली का कुछ अंश भून कर खाया और कुछ अंश पर नमक छिड़क कर रख लिया। इसके बाद वे आगे बढ़ते रहे। मेदिया के पास पहुँच कर

7) युवक ने स्वर्गदूत से यह प्रश्न किया, "भाई अज़र्या! मछली के दिल, कलेजे और पित्त किस रोग की दवा है?"

8) उसने उत्तर दिया, "जो पुरुष या स्त्री शैतान या दुष्ट आत्मा से सताया जाता है, उसके सामने मछली का दिल और कलेजा ज़ला दो और वह उसे छोड़ कर फिर कभी उसके पास नहीं फटकेगा।

9) पित्त ऐसे मनुष्य की आँखों पर लगाया जाये, जिस को मोतियाबिन्द हो गया हो और वह अच्छा हो जाता है।"

10) मेदिया में प्रवेश करने के बाद और एकबतना के पास पहुँच कर

11) रफ़ाएल ने युवक से कहा, "भाई टोबीयाह! "उसने उत्तर दिया, "मैं प्रस्तुत हूँ"। उसने कहा, "हमें यह रात रागुएल के यहाँ बितानी है। वह तुम्हारा सम्बन्धी है और उसके सारा नामक एक पुत्री है।

12) उसके कोई पुत्र नहीं है और सारा के सिवा उसके कोई पुत्री भी नहीं। तुम उसके सब से निकट सम्बन्धी हो। तुम को उसके साथ विवाह करने और उसके पिता की सम्पत्ति का पहला अधिकार है। क़न्या समझदार, स्वस्थ और बहुत भली है। उसका पिता उसे बहुत प्यार करता है।"

13) उसने फिर कहा, "उचित है कि तुम उसे स्वीकार करो। भाई! मेरी बात सुनो। मैं इस रात उस कन्या के विषय में बातचीत करूँगा, जिससे उसके साथ तुम्हारा विवाह निश्चित हो जाये। हम रागै से लौट कर उस से तुम्हारा विवाह करेंगे। मैं जानता हूँ कि वह उसे तुम को देना अस्वीकार नहीं करेगा। वह जानता है कि यदि वह उसे अन्य पुरुष को देगा, तो वह मूसा की संहिता के अनुसार मृत्युद्ण्ड का भागी होगा; क्योंकि यह उचित है कि किसी भी अन्य मनुष्य की अपेक्षा तुम्हें उसकी विरासत और उसकी पुत्री प्राप्त हो। भाई! अब मेरी बात मानो। हम इस रात उस कन्या के विषय में बात करें और उसकी मँगनी तुम से करायें। रागै से लौट कर उसका विवाह- संस्कार संपन्न करें और उसे अपने साथ तुम्हारे घर ले चलें।"

14) इस पर टोबीयाह ने रफ़ाएल से कहा, "भाई अज़र्या! मैंने सुना है कि उस कन्या का विवाह क्रमशः सात पुरुषों से हो चुका है और कमरे में रात को सभी की मृत्यु हो गयी है। उसके पास अन्दर आते ही सब की मृत्यु हो गयी है। मैंने कुछ लोगों को यह कहते सुना कि एक पिशाच ने उनका वध किया।

15) मुझे डर लगता है। पिशाच उस को प्यार करता और उसे नहीं सताता है, किन्तु जो उसके पास जाना चाहता, उसका वध कर देता है। मैं अपने पिता का एकमात्र पुत्र हूँ। कहीं ऐसा न हो कि अपनी मृत्यु के शोक के कारण मैं अपने माता-पिता की मृत्यु का कारण बनूँ। उनके कोई और पुत्र नहीं, जो उन्हें दफ़नाये।"

16) स्वर्गदूत ने उस से कहा, "क्या तुम को अपने पिता का आदेश याद नहीं है? उन्होंने तुम से कहा कि अपने पिता के कुटुम्ब की किसी कन्या से विवाह करोगे। भाई! अब मेरी बात सुनो। उस पिशाच की चिन्ता मत करो और सारा से विवाह कर लो। मैं जानता हूँ कि वह इस रात तुम्हारी पत्नी हो जायेगी।

17) तुम उस मछली के दिल और कलेजे का कुछ अंश लोबान के साथ जलते धूपदान पर रख कर कमरे में प्रवेश करो। पिशाच उसकी गन्ध सूँघ कर भाग जायेगा और उसके निकट फिर कभी नहीं आयेगा।

18) उस से प्रसंग होने से पूर्व ही तुम दोनों पहले उठो और प्रार्थना करो, जिससे स्वर्ग का प्रभु तुम दोनों पर दया करे और तुम्हें स्वास्थ्य प्रदान करे। डरो मत। यह अनन्त काल से निश्चित किया गया है कि वह तुम्हारी हो कर रहेगी। तुम उसे स्वस्थ करोगे और वह तुम्हारे साथ जायेगी। मुझे विश्वास है कि तुम्हें उस से पुत्र उत्पन्न होंगे, जो तुम्हारे भाइयों का अभाव पूरा करेंगे। तुम चिन्ता मत करो।"

19) जब टोबीयाह रफ़ाएल की बातों से जान गया कि वह उसकी बहन और उसके पिता के कुटुम्ब की है, तो वह उस को बहुत प्यार करने लगा और उसका हृदय उसके प्रति आकर्षित हुआ।



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