1) दाऊदनगर में अपने लिए भवन बनवाने के बाद दाऊद ने ईश्वर की मंजूषा के लिए एक स्थान निश्चित किया और उसके लिए एक तम्बू खड़ा कर दिया।
2) दाऊद ने आज्ञा दी कि ईश्वर की मंजूषा केवल लेवीवंशी ढोयें, क्योंकि प्रभु ने उन्हें प्रभु की मंजूषा ढोने और सदा उसकी सेवा करते रहने के लिए नियुक्त किया था।
3) ईश्वर की मंजूषा को उस स्थान पर ले आने के लिए, जिसे उसने उसके लिए तैयार करवाया था दाऊद ने सभी इस्राएलियों को एकत्र किया।
4) दाऊद ने हारून तथा लेवी के पुत्रों को बुला भेजाः
5) कहात के वंशजों में मुखिया ऊरीएल और उसके एक सौ बीस सम्बन्धी;
6) मरारी के वंशजों में मुखिया असाया और उसके दो सौ बीस सम्बन्धी;
7) गेरशोम के वंशजों में मुखिया योएल और उसके एक सौ तीस सम्बन्धी;
8) एलीसाफ़ान के वंशजों में मुखिया शमाया और उसके दो सौ सम्बन्धी;
9) हेब्रोन के वंशजों में मुखिया एलीएल और उसके अस्सी सम्बन्धी;
10) उज़्ज़ीएल के वंशजों में मुखि़या अम्मीनादाब और उसके एक सौ बारह सम्बन्धी।
11) दाऊद ने याजक सादोक और एबयातर तथा लेवीवंशी ऊरीएल, असाया, योएल, शमाया, एलीएल और अम्मीनादाब को बुला कर
12) उन से कहा, "तुम लेवीवंशी घरानों के मुखिया हो। तुम और तुम्हारे भाई-बन्धु अपने आप को पवित्र करो और इस्राएल के ईश्वर प्रभु की मंजूषा उस स्थान ले जाओ, जिसे मैंने उसके लिए तैयार करवाया है।
13) पहली बार तुम लोग मंजूषा को उठा कर नहीं ले आये, इसलिए प्रभु, हमारे ईश्वर का क्रोध हम पर भड़क उठा। हमने नियम के अनुसार उस से नहीं पूछा था।"
14) इसलिए प्रभु, इस्राएल के ईश्वर की मंजूषा ऊपर ले जाने के लिए याजकों और लेवियों ने अपने को पवित्र किया।
15) मूसा ने प्रभु के आदेशानुसार जैसा कहा था, लेवी वैसे ही डण्डों के सहारे ईश्वर की मंजूषा अपने कन्धों पर उठा कर ले गये।
16) तब दाऊद ने लेवियों के नेताओं को ओदश दिया कि वे अपने बन्धुओं को गायक के रूप में नियुक्त करें, जिससे वे सारंगी, सितार, झाँझ आदि वाद्यों को बजा कर आनन्द का संगीत सुनायें।
17) तब लेवियों ने योएल के पुत्र हेमान को और उसके भाई-बन्धुओं में बेरेक्या के पुत्र आसाफ़ को और मरारियों में कुशाया के पुत्र एतान को नियुक्त किया।
18) उनके साथ उन्होंने द्वितीय श्रेणी के उनके भाइयों, अर्थात् ज़कर्या, याज़ीएल, शमीरामोत, यहीएल, उन्नी, एलीआब, बनाया, मासेया, मत्तित्या, एलीफ़लेहू, मिकनेया और द्वारपाइ ओबेद-एदोम और योएल को भी नियुक्त किया।
19) उन्होंने गायकों में हेमान, आसाफ़ और एतान को नियुक्त किया, जिससे वे काँसे की झाँझें बजायें,
20) ज़कर्या, अज़ीएल, शमीरामोत, यहीएल, उन्नी, एलीआब, मासेया और बनाया को, जिससे वे ऊँचे स्वर में गाने वालों के लिए सारंगी बजाये;
21) और मत्तिया, एलीफ़लेहू, मिकनेया, ओबेद-एदोम, यईएल और अज़ज़्या को, जिससे वे कम ऊँचे स्वर में गाने वालों के लिए वीणा बजायें।
22) लेवियों के प्रधान कनन्या को संगीत-निर्देश सौंपा गया, क्योंकि वह संगीत में निपुण था।
23) बेरेक्या और एल्काना मंजूषा के द्वारपाल के कार्य के लिए नियुक्त किये गये।
24) याजक शबन्या, योषाफ़ाट, नतनएल, अमासय, ज़कर्या, बनाया और एलीएज़र ईश्वर की मंजूषा के सामने तुरही बजाते थे। ओबेद-एदोम और यहीया भी मंजूषा के द्वारपाल का कार्य करते थे।
25) दाऊद, इस्राएल के नेता और सहस्रपति, बडे़ आनन्द के साथ ओबेद-एदोम के घर से प्रभु की मंजूषा ले आने के लिए गये।
26) उन्होंने सात साँड़ों और सात मेढ़ों की बलि चढ़ायी, क्योंकि ईश्वर ने प्रभु के विधान की मंजूषा ढोने वाले लेवियों की सहायता की थी।
27) दाऊद, मंजूषा ढोने वाले सब लेवी, गवैये और संगीत -निर्देशक कनन्या, सभी छालटी के वस्त्र पहने थे। दाऊद छालटी का एफ़ोद भी पहने था।
28) इस प्रकार सभी इस्राएली जयकार करते हुए सिंगे, तुरहियाँ, झाँझें, सारंगियाँ और सितार बजाते हुए प्रभु के विधान की मंजूषा ऊपर ले जा रहे थे।
29) जब प्रभु की मंजूषा दाऊदनगर में प्रवेश कर रही थी, तो साऊल की पुत्री मीकल ने खिड़की से राजा दाऊद को नाचते-कूदते देख कर मन-ही-मन दाऊद का तिरस्कार किया।