📖 - योशुआ का ग्रन्थ

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अध्याय 23

1) जब इस्राएलियों को अपने आसपास के सारे शत्रुओं से शान्ति मिली और बहुत समय बीत गया- योशुआ बूढ़ा हो गया और उसकी अवस्था बहुत अधिक हो गयी-

2) तब योशुआ ने सारे इस्राएल को, उसके नेताओं, मुखियाओं, न्यायाधीशों और अधिकारियों को बुला कर उनसे कहा, "अब मैं बूढ़ा हो गया हूँ और मेरी उम्र बहुत अधिक हो गयी है।

3) प्रभु, तुम्हारे ईश्वर ने तुम्हारे कल्याण के लिए इन सब राष्ट्रों के साथ जो कुछ भी किया है, तुमने वह सब अपनी आँखों से देखा है, क्योंकि स्वयं प्रभु तुम्हारा ईश्वर तुम्हारी ओर से लड़ता था।

4) देखो, यर्दन से ले कर पश्चिम के महासमुद्र तक मैंने चिट्ठियों द्वारा उन राष्ट्रों की भूमि को तुम्हारे वंशों को दायभाग के रूप में दे दिया, जो अब तक वहाँ रहते हैं या जिन को मैं नष्ट कर चुका हूँ।

5) प्रभु तुम्हारा ईश्वर स्वयं उन्हें तुम्हारे सामने से हटा देगा। वह उन्हें तुम्हारे सामने से भगा देगा, जिससे तुम उनका देश अधिकार में कर सको, जैसा कि प्रभु, तुम्हारे ईश्वर ने तुम्हें वचन दिया।

6) तुम मूसा की संहिता के ग्रन्थ में लिखी हुई सारी बातों का सावधानी से पालन करने का दृढ़ संकल्प करो और उस से तुम न बायें भटको और न दाहिने।

7) तुम उन राष्ट्रों के साथ संबंध नहीं रखोगे, जो तुम्हारे बीच रहते हैं। तुम उनके देवताओं का नाम ले कर न तो प्रार्थना करोगे और न शपथ खाओंगे। तुम उन देवताओं की पूजा या आराधना नहीं करोगे।

8) तुम्हें अपने प्रभु ईश्वर से संयुक्त रहना है, जैसा तुमने आज तक किया है।

9) प्रभु ने तुम से बड़े और शक्तिशाली राष्ट्रों को तुम्हारे सामने से भगा दिया है और आज तक तुम्हारे सामने कोई नहीं टिक सका है।

10) तुम में से एक योद्धा हजार योद्धाओं को भगा सकता है, क्योंकि प्रभु तुम्हारा ईश्वर अपनी प्रतिज्ञा के अनुसार तुम्हारी ओर से लड़ता है।

11) इसलिए सावधान रहो: तुम प्रभु, अपने ईश्वर को प्यार करते रहो।

12) "जब तुम उस से विमुख हो जाओगे और अपने बीच रहने वाले राष्ट्रों से सन्धि करोगे, उनके साथ विवाह संबंध करोगे और उन से मिलते जुलते रहोगे,

13) तो यह निष्चय जानो कि प्रभु, तुम्हारा ईश्वर फिर उन राष्ट्रों को तुम्हारे सामने से नहीं भगायेगा, बल्कि वे तब तक तुम्हारे फन्दा और जाल बनेंगे, वे तुम्हारी पसलियों के लिए कोड़ों जैसे और तुम्हारी आँखों के लिए काँटों जैसे बनेंगे, जब तक तुम इस रमणीय देश से लुप्त नहीं होगे, जिसे प्रभु तुम्हारे ईश्वर ने तुमको दिया है।

14) "देखो, मैं अब उस रास्ते से जाने वाला हूँ, जिस से सब को जाना है। तुम अच्छी तरह जानते हो कि प्रभु, तुम्हारे ईश्वर ने तुम से जो मंगलमय प्रतिज्ञाएँ की हैं, उन में से एक भी व्यर्थ नहीं हुई। हर एक प्रतिज्ञा पूरी हो गयी है; एक भी व्यर्थ नहीं हुई।

15) किन्तु जैसे प्रभु, तुम्हारे ईश्वर द्वारा तुम्हें दी गयी प्रत्येक मंगलमय प्रतिज्ञा पूरी हुई है, वैसे ही प्रभु ने जिन-जिन विपत्तियों की धमकी दी है, वह उन्हें तुम पर ढाहेगा और उस रमणीय देश से तुम्हारा विनाश करेगा, जिसे उसने तुम को दिया है।

16) "यदि तुम उस विधान को भंग करोगे, जिसका पालन करने का प्रभु ने तुम्हें आदेश दिया है, यदि तुम अन्य देवताओं की सेवा और आराधना करने लगोगे, तो प्रभु का क्रोध तुम पर भड़क उठेगा और तुम शीघ्र ही उस रमणीय देश से लुप्त हो जाओगे, जिसे उसने तुम को दिया है।



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