1) यूसुफ के वंशजों को चिट्ठियाँ डाल कर जो भाग प्राप्त हुआ, वह येरीख़ो के पास की यर्दन नदी से, येरीख़ों के जलाशय के पूर्व की ओर से, उजाड़खण्ड होकर बेतेल के पहाड़ी प्रदेश तक
2) और फिर बेतेल से लूज़ तक, वहाँ से अटारोत तक, जो अरकियों के देश में है
3) और पश्चिम की ओर यफलेटियों के देश तक तथा मैदान के बेत-होरोन तक और आगे समुद्र के पास गेसेर तक जा कर समाप्त होता था।
4) यूसुफ़ के पुत्र मन्नसे और एफ्रईम को अपने-अपने दायभाग मिले।
5) एफ्रईमवंशियों के कुलों का दायभाग यह था। पूर्व में उनके दायभाग की सीमा ऊपरी बेत-होरोन तक अटारोत अद्दार थी।
6) वहाँ से वह समुद्र तक जाती थी। वह उत्तर में मिकमतात से पूर्व की ओर तानत-शिलो और उस से आगे पूर्व की ओर यानोहा तक जाती थी।
7) वह यानोहा से अटारोत और नारा तक पहुँचती थी और येरीखों के पास से हो कर यर्दन के तट पर समाप्त हो जाती थी।
8) सीमा तप्पूअह से पश्चिम की ओर काना नाले तक जा कर समुद्रतट पर समाप्त होती थी। एफ्रईमवंशियों के विभिन्न कुलों का यही दायभाग था।
9) इसके साथ वे नगर भी थे, जो मनस्से के वंशजों के दायभाग में से एफ्रईम के वंशजों की दिये गये थे। इन सब नगरों के साथ उनके आसपास के गाँव भी थे।
10) लेकिन वे गेसेर में रहने वाले कनानियों को भगा नहीं पाये; इसलिये कनानी आज तक एफ्रईमियों के साथ रहते हैं, परन्तु वे बेगार में लगाये जाते हैं।