1) योशुआ ने बडे़ सबेरे सब इस्राएलियों के साथ षिट्टीम से प्रस्थान कर दिया। वे यर्दन के पास आये और पार करने के पूर्व वहीं पडाव डाला।
2) सचिवों ने तीसरे दिन सारे शिविर में घूमकर
3) लोगों को यह आदेश दिया, "जब तुम प्रभु अपने ईश्वर के विधान की मंजूषा को लेवीवंशी याजकों द्वारा ढोये जाते देखो तब अपना-अपना स्थान छोड़ कर उसके पीछे हो लो जिससे तुम्हें यह मालूम हो सके कि तुम्हें किस रास्ते पर चलना है क्योंकि तुम इस रास्ते पर पहले कभी नहीं आये।
4) लेकिन तुम्हारे और उसके बीच दो हजार हाथ की दूरी होनी चाहिए। तुम उसके निकट नहीं जाओगे।"
5) योशुआ ने लोगो से कहा, "अपने को पवित्र बनाये रखो क्योंकि कल प्रभु तुम्हारी आँखों के सामने चमत्कार करेगा"।
6) योशुआ ने याजको से कहा, "विधान की मंजूषा उठाकर लोगों के आगे-आगे चलो"। तब उन्होंने विधान की मंजूषा उठायी और वे लोगों के आगे-आगे चल पडे़।
7) प्रभु ने योशुआ से यह कहा, "मैं आज से इस बात का ध्यान रखूँगा कि सभी इस्राएली तुम्हारा महत्व समझें और यह जान जायें कि जिस तरह मैं मूसा के साथ रहा उसी तरह तुम्हारे साथ भी रहूँगा।
8) तुम विधान की मंजूषा ढोने वाले याजको को यह आदेश दोगे, ’जब तुम लोग यर्दन नदी के तट पर पहुँचो, तो नदी में ही खडे़ हो जाओ’।"
9) इसके बाद योशुआ ने इस्राएलियों से कहा, "यहाँ आओ और अपने प्रभु ईश्वर का आदेश सुनों।"
10) योशुआ ने कहा, "अब तुम जान जाओगे कि जीवन्त ईश्वर तुम्हारे बीच है और तुम लोगों के सामने से कनानियों को निष्चय ही भगा देगा।
11) समस्त पृथ्वी के प्रभु के विधान की मंजूषा तुम लोगों से पहले यर्दन पार करेगी।
12) बारह व्यक्तियों को चुन लो हर एक वंश से एक व्यक्ति को।
13) ज्यों ही समस्त पृथ्वी के प्रभु के विधान की मंजूषा ढोने वाले याजक यर्दन नदी के पानी में पैर रखेंगे त्यों ही ऊपर से बहने वाला पानी थम जायेगा और ठोस पुंज जैसा हो जायेगा।"
14) जब इस्राएली अपने तम्बू उखाड़ कर यर्दन पार करने निकले तो विधान की मंजूषा ढोने वाले याजक उनके आगे-आगे चलें।
15) ज्यों ही मंजूषा ढोने वाले याजकों ने यर्दन के पास जा कर पानी में पैर रखा- कटने के समय यर्दन का पानी उमड़ कर तट पर फैल जाता है -
16) त्यों ही ऊपर से बहने वाला पानी थम गया और सारतान के निकटवर्ती आदाम नगर तक ठोस पुंज- जैसा बन गया। अराबा के समुद्र अर्थात लवण समुद्र की ओर उतरने वाला पानी बह निकला और इस प्रकार इस्राएली येरीख़ो के सामने पार उतरे।
17) जब इस्राएली सूखे पाँव उस पार जा रहे थे तो प्रभु के विधान की मंजूषा ढोने वाले याजक यर्दन के बीच के सूखे तल पर तब तक खडे़ रहे, जब तक सभी लोग यर्दन के उस पार नहीं पहुँचे।