1) मैंने अपनी आँखें उठा कर एक दिव्य दृश्य देखा। मैंने चार सींग देखे।
2) मेरे साथ बातें कर रहे दूत से मैंने पूछा, "ये क्या हैं?" उसने उत्तर दिया, "इन्हीं सींगों ने युदा, इस्राएल और येरूसालेम को तितर-बितर कर दिया है"।
3) उसके बाद प्रभु-ईश्वर ने मुझे चार लोहारों को दिखाया। यह देखकर मैंने पूछा, "ये किस काम के लिए आये हैं?" उसनक उत्तर दिया, "इन सींगों ने यहाँ तक यूदा को तितर-बितर किया था कि किसी को विराध करने का साहस नहीं रहा। लोहार उनको डराने, धमकाने आये हैं।
4) जिन राष्ट्रों ने यूदा को तितर-बितर करने के लिए उसके विरुद्ध सींग चलाये हैं, लोहार उनके सींगों को तोड डालेंगे।
5) मैंने आँखें उठा कर एक दिव्य दृश्य देखा। मैंने हाथ में नापने की डोरी लिये हुए एक मनुष्य को देखा
6) और मैंने पूछा, "आप कहाँ जा रहे हैं?" उसने मुझे उत्तर दिया, "मैं येरूसालेम को नापने और यह देखने जा रहा हूँ कि उसकी लम्बाई और चैडाई कितनी होगी"।
7) जो स्वर्गदूत मुझ से बोल रहा था, वह आगे बढ़ा और
8) एक दूसरे स्वर्गदूत के उसके पास आ कर कहा, "उस नवयुवक के पास दौड़ कर कहिएः येरूसालेम में मनुष्यों और पशुओं की इतनी भारी संख्या होगी कि उसके चारों ओर चारदीवारी नहीं बनायी जायेगी।
9) प्रभु यह कहता हैः मैं स्वयं उसके चारों ओर आग की दीवार बन कर रहूँगा और अपनी महिमा के साथ उसके बीच में निवास करूँगा’।"
10) उठो चलो, उत्तर के देश से निकल भागो। यह प्रभु-ईश्वर की आज्ञा है। प्रभु-ईश्वर यह कहता हैः मैंने ही दुनिया की चारों दिशाओं में तुम को तितर-बितर कर दिया था।
11) बाबुल में निर्वासित सियोन के नागरिको! उठो, भागो!
12) विश्वमण्डल के प्रभु का यह कहना हैः (उसी महिमामय प्रभु ने मुझे यहा भेजा है) तुम मेरी आँख की पुतली, - सावधान, जो तुम पर हाथ उठाये!
13) तो, देखो, मैं उन पर हाथ उठाने वाला हूँ और उनके दास भी उन को लूट लेंगे। (इस से तुम जान जाओगे कि प्रभु-ईश्वर ने ही मुझे भेजा है) ।
14) प्रभु कहता है, “सियोन की पुत्री! आनन्द का गीत गा, क्योंकि मैं तेरे यहाँ निवास करने आ रहा हूँ।
15) उस दिन बहुत-से राष्ट्र प्रभु के पास आयेंगे। वे उसकी प्रजा बनेंगे, किन्तु वह तेरे यहाँ निवास करेगा“ और तू जान जायेगी कि विश्वमण्डल के प्रभु ने मुझे तेरे पास भेजा है।
16) तब प्रभु पुण्य भूमि में यूदा को फिर अपनी प्रजा बनायेगा और येरूसालेम को फिर अपनायेगा।
17) समस्त मानवजाति प्रभु के सामने मौन रहे। वह जाग कर अपने पवित्र निवास से आ रहा है।