📖 - न्यायकर्ताओं का ग्रन्थ

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अध्याय 01

1) योशुआ की मृत्यु के बाद इस्राएलियों ने प्रभु से पूछा, "हम में से कौन सब से पहले कनानियों से युद्ध करने जाएगा?"

2) प्रभु ने उत्तर दिया, "यूदा को जाना चाहिए, क्योंकि मैं देश उसके हाथ दूँगा"।

3) यूदा ने अपने भाई सिमओन से कहा, "मेरे साथ उस भूभाग में चलो, जो मुझे चिट्ठी द्वारा प्राप्त हुआ है। हम कनानियों से युद्ध करें। इसके बाद मैं भी तुम्हारे साथ उस भूभाग में चलूँगा, जो चिट्ठी द्वारा तुम को मिला है।"

4) इस पर सिमओन उसके साथ चला गया। यूदा ने चढ़ाई की और प्रभु ने कनानियों और परिजि़्ज़यों को उनके हाथ दे दिया। उन्होंने उनके दस हज़ार सैनिकों को बेजे़क के पास पराजित किया।

5) वे बेजे़क के पास अदोनी-बेज़ेक से मिले और उन्होंने उस से लड़ कर कनानियों और परिजि़्ज़यों को पराजित किया।

6) जब अदोनी-बेजे़क भाग गया, तो उन्होंने उसका पीछा कर उसे पकड़ लिया और उसके हाथ-पाँव के अँगूठे काट डाले।

7) इस पर अदोनी-बेजे़क ने कहा, "सत्तर राजा, जिनके हाथ-पाँव के अँगूठे कट गये थे, मेरी मेज़ के नीचे की जूठन खाते थे। जैसा मैंने किया, ईश्वर मेरे साथ उसके बदले वैसा ही कर रहा है"। वह येरूसालेम लाया गया, वहाँ उसकी मृत्यु हो गयी।

8) यूदावंशियों ने येरूसालेम पर भी आक्रमण कर उसे अधिकार में कर लिया, उसके निवासियों को तलवार के घाट उतारा और नगर को जलाया।

9) इसके बाद यूदावंशी पहाड़ी प्रदेश में, नेगेब और निचले प्रदेश में रहने वाले कनानियों से युद्ध करने गये।

10) उन्होंने हेब्रोन में रहने वाले कनानियों से युद्ध किया। (पहले हेब्रोन का नाम किर्यत-अरबा था। और उन्होंने शेषय, अहीमान और तलमय को पराजित किया।

11) वहाँ से आग बढ़ कर उन्होंने दबीर के निवासियों पर आक्रमण किया (दबीर का नाम पहले किर्यत-सेफ़ेर था) ।

12) कालेब ने कहा, "जो किर्यत-सेफ़ेर को पराजित कर अधिकार में ले लेगा, मैं उसके साथ अपनी पुत्री अक्सा का विवाह कर दूँगा"।

13) कालेब के छोटे भाई केनज़ के पुत्र ओतनीएल ने उस पर अधिकार कर लिया, इसलिए उसने अपनी पुत्री अक्सा का विवाह उसके साथ कर दिया।

14) वह उसके पास आयी और उसने उस से अनुरोध किया कि वह अपने पिता से एक खेत माँगे। जैसे ही वह अपने गधे पर से उतरी, कालेब ने उससे पूछा, "तुम्हें क्या चाहिए?"

15) उसने उसे उत्तर दिया, "मेरा एक विशेष उपकार कीजिए। आपने मुझे नेगेब में एक खेत दिया, तो मुझे झरने भी दीजिए।" इस पर कालेब ने उसे ऊपरी और निचले झरने दे दिये।

16) मूसा का ससुर केनी जातीय था। उसके वंशज यूदावंशियों के साथ खजूर के नगर से यूदा के उजाड़खण्ड गये, जो आराद के निकट नेगेब में स्थित है और वहाँ उन लोगों के साथ रहने लगे।

17) यूदा ने अपने भाई सिमओन के साथ सफ़त में रहने वाले कनानियों को पराजित कर उनका संहार कर दिया; इसलिए उस नगर का नाम होरमा पड़ा।

18) यूदा ने गाज़ा और उसकी निकटवर्ती भूमि, अषकलोन और उसकी निकटवर्ती भूमि तथा एक्रोन और उसकी निकटवर्ती भूमि को अधिकार में कर लिया।

19) प्रभु ने यूदा का साथ दिया, इसलिए वह पहाड़ी प्रदेश को अधिकार में कर सका; परन्तु वह मैदान के निवासियों को नहीं भगा सका, क्योंकि उनके पास लोहे के रथ थे।

20) जैसी मूसा ने आज्ञा दी थी, कालेब को हेब्रोन दिया गया। उसने वहाँ से अनाक के तीनों पुत्रों को भगा दिया।

21) बेनयामीन-वंशी येरूसालेम के निवासी यबूसियों को नहीं भगा सके। इसलिए आज तक यबूसी लोग बेनयामीन के लोगों के साथ येरूसालेम में ही रहते आ रहे हैं।

22) यूसुफ़वंशियों ने भी बेतेल पर चढ़ाई की। प्रभु उनके साथ था।

23) यूसुफवंशियों ने बेतेल का भेद लेने के लिए वहाँ आदमियों को भेजा। (पहले उस नगर का नाम लूज़ था।)

24) गुप्तचरों ने एक आदमी को नगर से निकल कर आते देखा और उस से कहा, "हमें नगर में घुसने का रास्ता बताओ। इसके बदले हम तुम्हारे साथ अच्छा व्यवहार करेंगे।"

25) इस पर उसने उन्हें नगर में पहुँचने का रास्ता बता दिया। उन्होंने नगर अधिकार में किया और उसके निवासियों को तलवार के घाट उतारा, किन्तु उस आदमी और उसके सारे परिवार को छोड़ दिया।

26) उस आदमी ने हित्तियों के देश में जा कर एक नगर बसाया और उसका नाम लूज़ रखा। आज तक उसका यही नाम है।

27) मनस्से बेत-शान और उसके गाँवों के निवासियों, तानाक और उसके गाँवों के निवासियों, दोर ओर उसके गाँवों के निवासियों, यिबलआम और उसके गाँवों के निवासियों तथा मगिद्दो और उसके गाँवों के निवासियों को नहीं भगा सका। कनानी लोग उस प्रान्त में रह गये।

28) जैसे-जैसे इस्राएल की शक्ति बढ़ती गयी, वैसे-वैसे वे कनानियों से बेगार लेने लगे, पर उन्हें एकदम भगा सकने में असमर्थ रहे।

29) एफ्रईम गेसेर में रहने वाले कनानियों को नहीं भगा सका, इसलिए कनानी लोग गेसेर में उनके बीच रह गये।

30) ज़बुलोन किट्रोन और नहलोन के निवासियों को नहीं भगा सका। कनानी लोग उनके बीच रह गये, परन्तु इस्राएली उन्हें बेगार में लगाते थे।

31) आशेरवंशी अक्को, सीदोन, अहलाब, अगज़ीव, हेल्वा, अफ़ीक और रहोब के निवासियों को नहीं भगा सके, इसलिए

32) आशेरवंशी वहाँ रहने वाले कनानियों के बीच बस गये।

33) नफ़्ताली बेत-शेमेष और बेत-अनात के निवासियों को नहीं भगा सका। वे वहाँ रहने वाले कनानियों के बीच बस गये। परन्तु वे बेत-शेमेष और बेत-अनात के निवासियों को बेगार में लगाते थे।

34) अमोरियों ने दानवंशियों को पहाड़ी प्रदेश में भगा दिया और उन्हें निचले मैदान में नहीं रहने दिया।

35) अमोरी हर-हेरेस, अय्यालोन ओर शअलबीम में रह गये, पर यूसुफ़वंशी प्रबल हो गये और उन्हें बेगार में लगाते थे।

36) अमोरियों का देश अक्रब्बीम की घाटी से सेला और उसके आगे तक फैला था।



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