1) प्रभु ने मूसा से कहा,
2) ''इस्राएलियों से यह कहो - मैं प्रभु तुम्हारा ईश्वर हूँ।
3) तुम लोगों को वैसा नहीं करना चाहिए, जैसा मिस्र के लोग, जहाँ तुम रहते थे, किया करते हैं और न वैसा ही करना चाहिए, जैसा कनान देश के लोग जहाँ मैं तुम्हें ले जा रहा हूँ, किया करते हैं।
4) तुम उनके आचरण का अनुकरण नहीं करो। तुम मेरी विधियों के आदेशों का पालन करो। मैं प्रभु, तुम्हारा ईश्वर हूँ।
5) तुम मेरे ही आदेशों और विधियों का पालन करते रहो। जो उनका पालन करेगा, उस को उनके द्वारा जीवन प्राप्त होगा। मैं प्रभु हूँ।
6) तुम में कोई अपनी निकट कुटुम्बिनी के पास जा कर उसका शील भंग नहीं करेगा। मैं प्रभु हूँ।
7) तुम अपनी माता का शील भंग कर अपने पिता का अनादर नहीं करोगे। वह तुम्हारी माता है, इसलिए तुम उसका शील भंग नहीं करोगे।
8) तुम अपने पिता की दूसरी पत्नी का शील भंग कर अपने पिता का अनादर नहीं करोगे।
9) तुम अपने पिता या अपनी माता की पुत्री, अपनी बहन का शील भंग नहीं करोगे, चाहे वह एक ही घर में या दूसरी जगह पैदा हुई हो।
10) तुम अपनी पोती या नतिनी का शील भंग कर अपना अनादर नहीं करोगे।
11) तुम अपने पिता की किसी पत्नी से उत्पन्न, उसकी अपनी पुत्री का शील भंग नहीं करोगे। वह तुम्हारी बहन है।
12) तुम अपने पिता की बहन का शील भंग नहीं करोगे। वह तुम्हारे पिता की निकट कुटुम्बिनी है।
13) तुम अपनी माता की बहन की बहन का शील भंग नहीं करोगे। वह तुम्हारी माता की निकट कुटुम्बिनी है।
14) तुम अपने पिता के भाई की पत्नी का शील भंग कर अपने चाचा का अनादर नहीं करोगे। वह तुम्हारी चाची है।
15) तुम अपनी पुत्रवधू का शील भंग नहीं करोगे। वह तुम्हारे पुत्र की पत्नी है, इसलिए तुम उसका शील भंग नहीं करोगे।
16) तुम अपने भाई की पत्नी का शील भंग कर अपने भाई का अनादर नहीं करोगे।
17) तुम किसी स्त्री और उसकी पुत्री का शील भंग नहीं करोगे। तुम उसकी पोती या नातिनी का शील भंग नहीं करोगे। ये उसकी निकट कुटुम्बिनियाँ हैं। यह व्यभिचार है,
18) तुम अपनी पत्नी की बहन से विवाह नहीं करोगे; क्योंकि एक के जीते दूसरी के साथ प्रसंग करने से ईर्ष्या उत्पन्न होती है।
19) किसी स्त्री के साथ उसके मासिक धर्म के समय प्रसंग मत करो। वह अशुद्ध है।
20) तुम अपने पड़ोसी की पत्नी के साथ प्रसंग नहीं करोगे। इस से तुम दूषित हो जाओगे।
21) तुम अपनी कोई सन्तान मोलेक देवता को नहीं चढ़ाओगे। इस से तुम अपने ईश्वर का नाम अपवित्र करोगे। मैं प्रभु हूँ।
22) तुम स्त्री की तरह, किसी पुरुष के साथ प्रसंग नहीं करोगे। यह घृणित है।
23) तुम पशुगमन द्वारा अपने को दूषित नहीं करोगे। कोई स्त्री किसी पशु के साथ प्रसंग नहीं करेगी। यह घृणित है।
24) तुम इन सब कामों द्वारा अपने को दूषित नहीं करोगे; क्योंकि जिन राष्ट्रों को मैं तुम लोगों के सामने निकाल दूँगा, उन्होंने इसी प्रकार अपने को दूषित किया है।
25) इस कारण वह देश दूषित हो गया है। मैंने उसे उसके कुकमोर्ं का दण्ड दिया और उस देश ने अपने निवासियों को बाहर निकाल दिया।
26) तुम मेरे आदेशों और विधियों का पालन करोगे और ऐसे कुकर्म नहीं करोगे - न तो इस्राएली और न तुम्हारे बीच रहने वाला प्रवासी।
27) तुम से पहले उस देश के रहने वालों ने ऐसे कुुकर्म किये और वह देश दूषित हो गया है।
28) सावधान रहो, उस देश को फिर दूषित मत करो। नहीं तो वह तुम को बाहर निकाल देगा, जैसा कि उसने तुम्हारे पहले के लोगों के साथ किया।
29) जो इस प्रकार के कुकर्म करते हैं, वे अपने समुदाय से बहिष्कृत किये जायेगे।
30) मेरे आदेशों का पालन करो और तुम पहले के कुकर्मों से दूर रहो। उनके द्वारा दूषित न बनो। मैं प्रभु तुम्हारा ईश्वर हूँ।''