📖 - लेवी ग्रन्थ

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अध्याय - 03

1) यदि कोई शान्ति-बलि के रूप में ढोरों से एक पशु चढ़ाता है, तो वह नर या मादा चढ़ा सकता है, किन्तु वह अदोष हो।

2) वह अपना हाथ बलि पशु के सिर पर रखे और दर्शन-कक्ष के द्वार पर उसका वध करे। याजक, हारून के पुत्र उसका रक्त वेदी के चारों ओर छिड़कें।

3) फिर वह शान्ति-बलि का एक अंश प्रभु को चढ़ाये, अर्थात् अँतड़ियों के आसपास की सारी चरबी,

4) दोनों गुरदे तथा उन पर और कमर के पास की चरबी तथा जिगर की झिल्ली, जिसे वह गुरदों के साथ निकालेगा।

5) याजक, हारून के पुत्र शान्ति-बलि के साथ यह सब वेदी पर जलती लकड़ी में भस्म करें। यह सुगन्धयुक्त चढ़ावा है, जो प्रभु को प्रिय है।

6) यदि कोई शान्ति-बलि के रूप में भेड़ बकरियों में से प्रभु को एक पशु चढ़ाना चाहे, तो वह नर या मादा चढ़ा सकता है, किन्तु वह अदोष हो।

7) यदि वह बलि के रूप में एक मेमना चढ़ाये, तो वह उसे प्रभु के सामने लाये

8) और उस बलि-पशु के सिर पर अपना हाथ रख कर दर्शन-कक्ष के सामने उसका वध करे। हारून के पुत्र उसका रक्त वेदी के चारों ओर छिड़के।

9) फिर वह शान्ति-बलि की चरबी प्रभु को अर्पित करे - चरबी-श्री मोटी पूँछ, अँतड़ियों के आसपास की चरबी,

10) दोनों गुरदे तथा उन पर और कमर के पास की चरबी तथा जिगर की झिल्ली, जिसे वह गुरदों के साथ निकालता है।

11) याजक यह सब भस्म करे। यह प्रभु को अर्पित आहार है।

12) यदि कोई बलि के रूप में एक बकरी चढ़ाये, तो वह उसे प्रभु के सामने लाये

13) और अपना हाथ उसके सिर पर रख कर दर्शन-कक्ष के पास उसका वध करे। हारून के पुत्र उसका रक्त वेदी के चारों ओर छिड़कें।

14) वह बलि-पशु का एक अंश प्रभु को अर्पित करे - अँतड़ियों के आसपास की चरबी,

15) दोनों गुरदे तथा उन पर और कमर के पास की चरबी तथा जिगर की झिल्ली, जिसे वह गुरदों के साथ निकालता है।

16) याजक यह सब वेदी पर भस्म करे। यह प्रभु को अर्पित आहार और सुगन्धयुक्त चढ़ावा है। सारी चरबी प्रभु की है।

17) तुम जहाँ कहीं भी निवास करोगे, यह पीढ़ी-दर-पीढ़ी तुम्हारे लिए एक चिरस्थायी आदेश है। तुम न तो चरबी खाओगे और न रक्त ही।



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