1) "सारदैस की कलीसिया के स्वर्गदूत को यह लिखो- "जो ईश्वर के सातों आत्माओं और सातों तारों को धारण किये है, उसका सन्देश इस प्रकार है: मैं तुम्हारे आचरण से परिचित हूँ। लोग तुम्हें जीवित मानते हैं, किन्तु तुम तो मर चुके हो।
2) जागो! तुम में जो जीवन शेष है और बुझने-बुझने को है, उस में प्राण डालो। मैंने तुम्हारे आचरण को अपने ईश्वर की दृष्टि में अपूर्ण पाया है।
3) तुमने जो शिक्षा स्वीकार की और सुनी, उसे याद रखो, उसका पालन करो और पश्चात्ताप करो। यदि तुम नहीं जागोगे, तो मैं चोर की तरह आऊँगा और तुम्हें मालूम नहीं हैं कि मैं किस घड़ी तुम्हारे पास आ जाऊँगा।
4) सारदैस में तुम्हारे यहाँ कुछ ऐसे व्यक्ति भी है, जिन्होंने अपने वस्त्र दूषित नहीं किये हैं। वे उजले वस्त्र पहन कर मेरे साथ टहलेंगे, क्योंकि वे इसके योग्य हैं।
5) "विजयी इस प्रकार उजले वस्त्र पहनेगा। मैं जीवन-ग्रन्थ में से उसका नाम नहीं मिटाऊँगा, बल्कि अपने पिता और उसके स्वर्गदूतों के सामने उसे स्वीकार करूँगा।
6) जिसके कान हों, वह सुन ले कि आत्मा कलीसियाओं से क्या कहता है।
7) "फिलादेलफिया की कलीसिया के स्वर्गदूत को यह लिखो-"जो सच्चा है, जिसके पास दाऊद की कुंजी है, जिसके खोलने पर कोई नहीं बन्द कर सकता और जिसके बन्द करने पर कोई नहीं खोल सकता, उसका सन्देश इस प्रकार है:
8) "मैं तुम्हारे आचरण से परिचित हूँ। मैंने तुम्हारे लिए एक द्वार खोला, जिसे कोई नहीं बन्द कर सकता। तुम्हारी शक्ति सीमित है, फिर भी तुमने मेरी आज्ञाओं का पालन किया और मेरा नाम अस्वीकार नहीं किया है।
9) देखो, मैं शैतान के उन अनुयायियों को, जो अपने को यहूदी कहते हैं, किन्तु यहूदी नहीं हैं और झूठ बोलते हैं, इसके लिए बाध्य करूँगा कि वे आ कर तुम्हारे चरणों में दण्डवत् करें और यह जानें कि मैं तुम को प्यार करता हूँ।
10) तुम मेरे आदेशानुसार दृढ़ बने रहे, इसलिए मैं भी तुम्हें इस विपत्ति के समय सुरक्षित रखूँगा, जो समस्त पृथ्वी पर आने वाली है और उसके निवासियों की परीक्षा लेगी।
11) मैं शीघ्र ही आने वाला हूँ। जो शिक्षा तुम्हारे पास है, उस पर दृढ़ बने रहो, जिससे कोई तुम को तुम्हारे मुकुट से वंचित न करे।
12) "मैं विजयी को अपने ईश्वर के मन्दिर का खम्भा बनाऊँगा। वह फिर कभी उसके बाहर नहीं जायेगा। मैं अपने ईश्वर का नाम, अपने ईश्वर के नगर, उस नवीन येरूसालेम का नाम, जो मेरे ईश्वर के यहाँ से स्वर्ग से उतरने वाला है और अपना नया नाम उस पर अंकित करूँगा।
13) जिसके कान हों, वह सुन ले कि आत्मा कलीसियाओं से क्या कहता है।
14) लौदीकिया की कलीसिया के स्वर्गदूत को यह लिखो- "आमेन, विश्वसनीय तथा सच्चे साक्षी, ईश्वर की सृष्टि के मूलस्रोत का सन्देश इस प्रकार हैः
15) मैं तुम्हारे आचरण से परिचित हूँ। तुम न तो ठंडे हो और न गर्म। कितना अच्छा होता कि तुम ठंडे या गर्म होते!
16) लेकिन न तो तुम गर्म हो और न ठंडे, बल्कि कुनकुने हो, इसलिए मैं तुम को अपने मुख से उगल दूँगा।
17) तुम यह कहते हौ- मैं धनी हूँ, मैं समृद्ध हो गया, मुझे किसी बात की कमी नहीं, और तुम यह नहीं समझते कि तुम अभागे हो, दयनीय हो, दरिद्र, अन्धे और नंगे हो।
18) मेरी बात मानो। मुझ से आग में तपाया हुआ सोना खरीद कर धनी हो जाओ; उजले वस्त्र खरीद कर पहन लो और अपने नंगेपन की लज्जा ढँक लो; अंजन खरीद कर आँखों पर लगाओं, जिससे तुम देख सको।
19) मैं जिन सबों को प्यार करता हूँ, उन्हें डाँटता और दण्डित करता हूँ। इसलिए उत्साही बनो और पश्चात्ताप करो।
20) मैं द्वार के सामने खड़ा हो कर खटखटाता हूँ। यदि कोई मेरी वाणी सुन कर द्वार खोलेगा, तो मैं उसके यहाँ आ कर उसके साथ भोजन करूँगा और वह मेरे साथ।
21) मैं विजयी को अपने साथ उसी तरह अपने सिंहासन पर विराजमान होने का अधिकार दूँगा, जिस तरह मैं विजयी हो कर अपने पिता के साथ उसके सिंहासन पर विराजमान हूँ।
22) जिसके कान हों, वह सुन ले कि आत्मा कलीसियाओं से क्या कहता है।