1) उसके शासनकाल में बाबुल का राजा नबूकदनेज़र ने यूदा पर आक्रमण किया। यहोयाकीम तीन वर्ष तक उसके अधीन रहा। इसके बाद उसने उसके विरुद्ध विद्रोह किया।
2) तब प्रभु ने उसके विरुद्ध खल्दैयी, अरामी, मोआबी और अम्मोनी लुटेरों के दल भेजे, जिन्होंने यूदा का विनाश करने के लिए उस पर आक्रमण किया। यह प्रभु के उस कथन के अनुसार हुआ, जिसे उसने अपने सेवकों, नबियों, द्वारा घोषित किया था।
3) यह निश्चय ही प्रभु के आदेश के अनुसार हुआ, जिससे यूदा उसके सामने से दूर किया जाये और मनस्से के पापाचरण
4) और उसके द्वारा बहाये निर्दोष रक्त के कारण भी; क्योंकि उसने येरूसालेम को निर्दोष रक्त से भर दिया। प्रभु यह अपराध क्षमा नहीं करना चाहता था।
5) यहोयाकीम का शेष इतिहास और उसका कार्यकलाप यूदा के राजाओं के इतिहास-ग्रन्थ में लिखा है।
6) यहोयाकीम अपने पूर्वजों से जा मिला और उसका पुत्र यहोयाकीन उसकी जगह राजा बना।
7) मिस्र का राजा युद्ध करने के लिए फिर अपने देश से नही निकला, क्योंकि बाबुल के राजा ने मिस्र के नाले से ले कर फ़रात नदी तक का सारा क्षेत्र अपने अधिकार में कर लिया था, जो पहले मिस्र के राजा के अधीन था।
8) यहोयाकीन अट्ठारह वर्ष की उम्र में राजा बना और उसने येरूसालेम में तीन महीने तक शासन किया। उसकी माता का नाम नहुष्ता था और वह येरूसालेमवासी एल्नातान की पुत्री थी।
9) यहोयाकीन ने अपने पिता की तहर वही किया, जो प्रभु की दृष्टि में बुरा है।
10) उस समय बाबुल के राजा नबूकदनेज़र के सेनापतियों ने येरूसालेम पर आक्रमण किया और उसे चारो आरे से घेर लिया।
11) जब उसके सेनापति येरूसालेम का घेरा डाल चुके थे, तो बाबुल का राजा नबूकदनेज़र स्वयं पहुँचा
12) और यहोयाकीन ने अपनी माता, अपने दरबारियों, पदाधिकारियों और खो़जों के साथ बाबुल के राजा के सामने आत्मसमर्पण किया। बाबुल के राजा ने उसे बन्दी बनाया। यह नबूकदनेज़र के राज्यकाल का आठवाँ वर्ष था।
13) वह प्रभु के मन्दिर और राजमहल की सब बहुमूल्य वस्तुएँ उठा कर ले गया, जैसा कि प्रभु ने पहले से कहा था। उसने सोने की वह सब सामग्री तोड़ डाली, जिसे इस्राएल के राजा सुलेमान ने प्रभु के मन्दिर के लिए बनवाया था।
14) वह येरूसालेम के सब पदाधिकारियों और सैनिकों को-कुल मिला कर दस हज़ार लोगों को सब कारीगरों और लोहारों के साथ बन्दी बना कर ले गया। ‘देश में केवल दरिद्र जनता रह गयी।
15) वह यहोयाकीन को बाबुल ले गया। वह राजा की माता को, उसकी पत्नियों, ख़ोजो और देश के प्रतिष्ठित लोगों को भी येरूसालेम से बाबुल ले गया।
16) सात हज़ार सैनिक, एक हज़ार कारीगर और लोहार-जितने भी लोग युद्ध के योग्य थे- सब बाबुल के राजा द्वारा निर्वासित किये गये।
17) बाबुल के राजा ने यहोयाकीन के स्थान पर उसके चाचा मत्तन्या को राजा के रूप में नियुक्त किया और उसका नाम बदल कर सिदकीया रखा।
18) जब सिदकीया राजा बना, तो था इक्कीस वर्ष का था। उसने येरूसालेम में ग्यारह वर्ष तक शासन किया। उसकी माता का नाम हमूटल था। वह लिबनावासी यिरमया की पुत्री थी।
19) सिदकीया ने यहोयाकीन की तरह वही किया, जो प्रभु की दृष्टि में बुरा है।
20) येरूसालेम और यूदा पर प्रभु इतना क्रुद्ध था कि उसने उन्हें अपने सामने से दूर करने का निष्चत किया। उस समय सिदकीया ने बाबुल के राजा के विरुद्ध विद्रोह किया।