📖 - राजाओं का दुसरा ग्रन्थ

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अध्याय 01

1) अहाब की मृत्यु के पश्चात् मोआब ने इस्राएल के विरुद्ध विद्रोह किया।

2) समारिया ने अहज़्या अपने ऊपरी कमरे के छज्जे से गिरा और उसे गहरी चोट लगी। उसने यह आदेश दे कर दूतों को भेजा, "जाओ और एक्रोन के बाल-ज़बूब देव से पूछो कि मैं इस बीमारी से स्वस्थ होऊँगा या नहीं"।

3) तब प्रभु के एक दूत ने तिषबी एलियाह से कहा, "जाओ और समारिया के राजा के दूतों से मिल कर उन से कहो, ‘क्या इस्राएल में ईश्वर नहीं है, जो तुम एक्रोन के बाल-ज़बूब के पास पूछने जा रहे हो?’

4) इसलिए प्रभु का यह कहना है: जिस पलंग पर तुम पड़े हो, उस से उठ नहीं पाओगे। तुम निश्चय ही मर जाओगे।" एलियाह चल दिया ।

5) दूत राजा के पास लौैटे, तो उसने पूछा, "तुम लोग क्यों लौट आये?"

6) उन्होंने उस से कहा, "हम से एक आदमी मिलने आया और उसने हमें आज्ञा दी कि जाओ और जिस राजा ने तुम्हें भेजा है, उसके यहाँ लौट कर कहो कि प्रभु का कहना है कि क्या इस्राएल में ईश्वर नहीं है, जो तुम एक्रोन के बाल-ज़बूब देव से पूछने दूत भेज रहे हो। इसलिए जिस पलंग पर तुम पड़े हो, उससे उठ नहीं पाओगे। तुम निश्चय हीं मर जाओगे।"

7) तब फिर उसने उन से पूछा, "वह आदमी कैसा था, जो तुम से मिला और जिसने यह कहा?"

8) उन्होंने उसे उत्तर दिया, "वह टाट का वस्त्र पहने था और उसकी कमर में चमडे़ का कमरबन्द कसा हुआ था"। इस पर उसने कहा, "वह तिशबी एलियाह था"।

9) तब उसने एक सेना-नायक को उसके पचास सैनिकों के साथ एलियाह के पास भेजा। सेना-नायक एलियाह के पास ऊपर आया, जो किसी पहाड़ी की चैटी पर बैठा था और उसने एलियाह से कहा, "ईश्वर-भक्त! राजा ने आप को नीचे उतरने का आदेश दिया है"।

10) एलियाह ने उन पचास सैनिकों के नायक को उत्तर दिया, "यदि मैं ईश्वर भक्त होऊँ, तो आकाश से आग गिरे और तुम्हें अपने पचास सैनिकों-सहित भस्म कर डाले"। तब आकाश से आग गिरी और उसने उसे तथा उसके पचास सैनिकों को भस्म कर डाला।

11) इसके बाद राजा ने एक दूसरे सेना-नायक को उसके पचासों सैनिकों-सहित उसके पास भेजा। उसने एलियाह से कहा "ईश्वर-भक्त! राजा ने आपको तुरन्त नीचे उतरने का आदेश दिया है"।

12) एलियाह ने उन्हें उत्तर दिया, "यदि मैं ईश्वर-भक्त होऊँ, तो आकाश से आग गिरे और तुम्हें अपने पचासोें सैनिकों-सहित भस्म कर डाले"। तब ईश्वर की आग आकाश से गिरी और उसने उसे तथा उसके पचासों सैनिकों को भस्म कर डाला।

13) अब राजा ने एक तीसरे सेना-नायक को उसके पचासों सैनिकों-सहित भेजा। वह तीसरा नायक ऊपर गया और उसने एलियाह के सामने घुटने टेक कर उस से यह निवेदन किया, "ईश्वर-भक्त! कृपया मेरे-और आप के भी- सेवकों, मेरे सैनिकों के प्राणों की रक्षा कीजिए।

14) देखिए, आकाश से आग गिरी और उसने पहले के दो नायकों को उनके सैनिकों के साथ भस्म कर दिया। अब, आप मेरे प्राणों की रक्षा कीजिए।"

15) इस पर प्रभु के दूत ने एलियाह से कहा, "उसके साथ नीचे उतर जाओ, उस से मत डरो"। तब वह उठा और राजा के पास नीचे

16) जा कर उस से बोला, "प्रभु का कहना है: तुमने एक्रोन के बाल-ज़बूब देव के पास पूछने के लिए दूतों को भेजा है- मानो इस्राएल में पूछने के लिए ईश्वर ही न हो; इसलिए तुम पलंग पर से नहीं उतर पाओगे, जिस पर तुम पड़े हो। निश्चय ही तुम्हारी मृत्यु हो जायेगी।"

17) एलियाह द्वारा कहे हुए प्रभु के वचन के अनुसार अहज़्या की मृत्यु हो गयी। उसके कोई पुत्र नहीं था, इसलिए यूदा के राजा यहोशाफ़ाट के पुत्र यहोराम के दूसरे वर्ष अहज़्या का भाई यहोराम उसके स्थान में राजा बना।

18) अहज़्या का शेष इतिहास और उसके कार्यकलाप का वर्णन इस्राएल के राजाओें के इतिहास-ग्रन्थ में लिखा है।



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