1) देखो! सन्देशवाहक पर्वतों पर आ रहा है, वह शांति घोषित करने आ रहा है। यूदा! अपने पर्व मनाओ और अपनी मन्नतें पूरी करो। कुकर्मी फिर कभी तुझ पर आक्रमण नहीं करेगा- उसका सर्वनाश हो गया है।
2) विध्वंसक तुझ पर चढ़ आया है; प्राचीरों पर सैनिक तैनात कर दे, राह देखते रह, कमर कस ले और तैयार रह।
3) लुटेरों ने याकूब और इस्राएल को उजाडा और उनकी दाखबारियों को नष्ट किया है, किन्तु प्रभु याकूब और इस्राएल को उनका प्राचीन वैभव लौटा देगा।
4) उसके वीर योद्धाओं की ढालें लाल है। उसके सैनिक सिंदूरी वर्दी पहने हैं। उसके पंक्ति-की-पंक्ति के रथ ज्वाला की तरह चमक रहे हैं, उसके घोडे उछलते हैं।
5) गलियों में रथ तेजी से दौड़ रहे हैं, चैकों को झट से पार करते हैं; मशालों की तरह उनकी चमक बिजली की तरह उनका आक्रमण।
6) चुनिन्दे योद्धाओं को हुमह मिलता हैं और वे गिरते-पडते प्राचीरों की ओर भागते हैं; वहाँ रक्षा-मण्डप अपने स्थान पर लगे हैं।
7) नदी ने फाटक खुल गये हैं, महल में निराशा छा गयी है।
8) स्वामिनि देवी बन्दी बना ली गयी; उसे ले जा रहे हैं और उसकी दासियाँ भी कबूतरियों की तरह विलाप करती हुई और छाती पीटती हुई जा रही हैं।
9) निवीवे मानो बाँध था; बाँध टूट गया, जल बह निकल रहा है। ''रुको'', ''रुको'' की आवाज आती है, किन्तु कोई रुकता नहीं।
10 ''चाँदी लूट लो!'' ''सोना लूट लो।!'' खजाने का अन्त ही नहीं मिल रहा है, बहुमूल्य वस्तुओं के ढेर-के-ढेर लगे हैं।
11) छापा मारो, लूटो, उजाडो! हृदयों में धीरज नहीं रह गया है, घुटने कांप रहे हैं, सब की कमर टूट गयी हैं, सब के चेहरे पीले पड गये हैं।
12) सिंहों की माँद को क्या हो गया है? शावकों की गुफा अब कहाँ है? जब सिंह शिकार के लिए निकलता था, सिंहनी और शावक निडर हो कर रह जाते।
13) सिंह अपने बच्चों के लिए शिकार मार लाया करता था और अपनी सिहंनियों के लिए शिकारों का गला घोंट दिया गकरता था। वह अपनी गुफाओं को शिकार से भर करता था और अपनी माँदों को लूट से।
14) विश्वमण्डल का प्रभु-ईश्वर यह कहता हैः देख, मैं ही तेरे विरुद्ध हूँ मैं तेरे रथों में आग लगा कर धुएँ मे उड़ा दूँगा; तेरे शावक तलवार के घाट उतारे जायेंगे। मैं पृथ्वी पर तेरी लूट-पाट का अंत कर दूँगा और तेरे राजदूतों के शब्द फिर कभी सुनाई नहीं पडेंगे।