1) ओह! यदि तुम मेरे भाई होते, जिसने मेरी माता का दूध पिया है! तब यदि मैं तुम से बाहर मिलती, तो तुम्हें चूम लेती और कोई मेरा तिरस्कार नहीं करता।
2) मैं तुम्हारा हाथ पकड़ कर तुम्हें अपनी माता के घर ले आती। तुम मुझे वहाँ दीक्षित कर लेते। मैं तुम को पीने के लिए सुवासित अंगूरी और अपने अनारों का रस देती।
3) उसकी बायीं भुजा मेरे सिर के नीचे है और उसकी दाहिनी भुजा मेरा आलिंगन कर रही है।
4) येरूसालेम की पुत्रियों! मैं तुम से विनती करता हूँ: मेरी प्रियतमा को मत जगाओें जब तक वह चाहे, तब तक उसे सोने दो।
5) अपने प्रियतम के कन्धों पर झुकी हुई मरूभूमि की ओर से वह कौन आ रही है? मैं सेब वृक्षों के नीचे तुम को नींद से जगाती हूँ, यहीं तुम्हारी माता ने तुम को गर्भ में धारण किया था। यही तुम्हारी माता ने तुम को गर्भ में धारण किया था।
6) मुझे मोहर की तरह अपने हृदय पर लगा लो मोहर की तरह अपनी भुजा पर बाँध लो; क्योंकि प्रेम मृत्यु की तरह शक्तिशाली है, ईर्ष्या अधोलोक-जैसी अजेय है। उसकी लपटें अग्नि की लपटों-जैसी है, विद्युत की अग्निज्वाला-जैसी।
7) न तो समुद्र की लहरें पे्रम को बुझा सकती और न बाढ़ की जलधाराएँ उसे बहा सकती है। यदि कोई प्रेम को खरीदने के लिए अपने घर की सारी सम्पत्ति अर्पित करें, तो उसे तिरस्कार के अतिरिक्त और कुछ नहीं मिलेगा!
8) हमारी एक छोटी बहन है। अभी उसके उरोज अविकसित है। जिस दिन उसकी चरचा होने लगेगी, तो हम अपनी बहन के लिए क्या करेंगे?
9) यदि वह प्राचीर होती, तो हम उस पर चाँदी की मीनारें बनाते। यदि वह द्वार होती, तो हम उसे देवदार के पल्लों से जड़ देते।
10) मैं प्राचीर हूँ और मेरे उरोज वास्तव में मीनारों के सदृश हैं; इसलिए तो मैं उसकी दृष्टि में वह नगर हूँ, जहाँ शान्ति मिलती है।
11) बएल-हामोन में सुलेमान की दाखबारी है। वह अपनी दाखबारी रखवालों को दे देता है। प्रत्येक को उसके फलों के लिए चाँदी के एक हजार शेकेल देने होंगे।
12) किन्तु मेरी दाखबारी मेरी अपनी है। सुलेमान! लो ये हजार शेकेल तुम्हारे लिए हैं और ये दो सौ शेकेल तुम्हारे लिए हैं और ये दो सौ शेकेल उनके लिए, जो उसके फलों के रखवाले हैं।
13) ओ तुम, जो वाटिका में विराजती हो! मेरे साथी तुम्हारी आवाज सुनना चाहते हैं। मुझे अपनी आवाज सुनने दो।
14) चिकारे गन्धवृक्षों के पर्वतों पर मृग-शावक की तरह, तुम जल्दी-जल्दी आओ, मेरे प्रियतम!