📖 - नहेम्या का ग्रन्थ

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अध्याय 13

1) उन्हीं दिनों लोगों को मूसा का ग्रन्थ पढ़ कर सुनाया गया। उस में लिखा था कि अम्मोनी या मोआबी ईश्वर के समुदाय में सम्मिलित नहीं हो सकते;

2) क्योंकि उन्होंने इस्राएलियों को खाने-पीने के लिए कुछ नहीं दिया था, बल्कि मोआब ने उन्हें अभिशाप देने के लिए बिलआम को पैसा दिया था। किन्तु हमारे ईश्वर ने वह अभिशाप आशीर्वाद में बदल दिया।

3) जब लोगों ने यह आदेश सुना, तो उन्होंने सारे विजातीय लोगों को इस्राएल में से अलग कर दिया।

4) इसके पहले याजक एल्याशीब हमारे ईश्वर के मन्दिर के भण्डारों का प्रबन्धक नियुक्त किया गया था। वह टोबीयाह का निकट सम्बन्धी था

5) और उसने टोबीयाह के लिए एक बड़ा कमरा तैयार करवाया था। पहले इस में अन्न-बलि, लोबान, पात्र और लेवियों, गायकों और द्वारपालों के लिए निर्धारित किया गया अन्न, अंगूरी और तेल का दशमांश तथा याजकों के लिए सब चढ़ावे रखे जाते थे।

6) जब यह सब हुआ था, मैं येरूसालेम में नहीं था; क्योंकि बाबुल के राजा अर्तज़र्कसीस के बत्तीसवें वर्ष में राजा के पास गया था। कुछ दिनों बाद मैंने राजा के यहाँ से जाने की आज्ञा माँगी।

7) मैं येरूसालेम लौटा। वहाँ मुझे एल्याशीब के कुकर्म का पता चलाः उसने ईश्वर के भवन में टोबीयाह के लिए एक कमरे का प्रबन्ध किया था।

8) मुझे यह बात बड़ी अप्रिय लगी। मैंने टोबीयाह का सामान उस कमरे के बाहर निकलवाया।

9) इसके बाद मैंने कमरों की शुद्धि करवायी और वहाँ फिर से ईश्वर के मन्दिर के पात्र, अन्न-बलियाँ और लोबान रखवाया।

10) मैंने यह भी सुना कि लेवियों को यथोचित भाग नहीं दिया गया था, इसलिए सेवा करने वाले लेवियों और गायकों में कई लोग अपने-अपने घर लौट गये थे।

11) मैंने पदाधिकारियों को इसके लिए डाँटा और उन से कहा, "ईश्वर के मन्दिर की उपेक्षा क्यों की गयी?" इसके बाद मैंने लेवियों को एकत्रित कर उनके पहले के स्थानों पर फिर से नियुक्त किया।

12) तब से यूदावासी अन्न, अंगूरी और तेल का दशमांश भण्डारों में देने लगे

13) और मैंने भण्डारों की देखरेख के लिए याजक शेलेम्या, सचिव सादोक और लेवी पदाया को नियुक्त किया और ज़क्कूर के पुत्र और मत्तन्या के पौत्र हानान को उनका सहायक बनाया। वे विश्वसनीय समझे जाते थे और उनका कर्तव्य यह था कि वे साथी भाई-बन्धुओं में सब कुछ बाँटें।

14) मेरे ईश्वर! मेरी इस बात पर ध्यान दे और वे सत्कार्य मत भुला, जिन्हें मैंने अपने ईश्वर के मन्दिर और उसकी सेवा के लिए किया।

15) उन दिनों मैंने यूदा में ऐसे लोग देखे, जो विश्राम-दिवस पर कोल्हू में अंगूर पेरते थे, अनाज के पूले खेत से लाते थे, अंगूरी, अंगूर, अंजीर और सब प्रकार के बोझ गधों पर लादते और विश्राम-दिवस पर येरूसालेम ले जाते थे। जब वे अपना सामान विश्राम-दिवस पर बेचते थे, तो मैं ने उन्हें चेतावनी दी।

16) देश में रहने वाले तीरुस-निवासी मछली और अन्य सब प्रकार का सामान ला कर उन्हें विश्राम-दिवसों पर यूदावासियों को और येरूसालेम में बेचा करते।

17) मैंने यूदा के कुलीन लोगों को यह कहते हुए फटकारा, "क्या आप लोग यह नहीं समझते हैं कि इस प्रकार विश्राम-दिवस को अपवित्र करते हुए आप कितना बड़ा अपराध कर रहे हैं?

18) क्या आपके पूर्वजों ने भी ऐसा ही नहीं किया था और इसीलिए हमारे ईश्वर ने हम पर और इस नगर पर विपत्तियाँ ढाही थीं? क्या आप विश्राम-दिवस अपवित्र करने से फिर इस्राएल पर क्रोध भड़काना चाहते हैं?"

19) मैंने आज्ञा दी कि ज्यों ही विश्राम-दिवस के पूर्व अँधेरा होना शुरू हो, फाटक बन्द कर दिये जायें और केवल विश्राम-दिवस के बाद ही फिर खोले जायें। मैंने अपने लोगों में कुछ को फाटकों पर लगा दिया, जिससे विश्राम-दिवस पर कोई बोझ अन्दर न आ सके।

20) अब व्यापारियों और सब प्रकार का माल बेचने वालों ने एक-दो बार येरूसालेम के बाहर रात बितायी।

21) उन को चेतावनी देते हुए मैंने कहा, "तुम लोग क्यों दीवार के बाहर रात बिताते हो? यदि तुम फिर ऐसा करोगे, तो मैं तुम्हें पकड़वाउँगा।" इसके बाद में वे फिर विश्राम दिवस पर नहीं आये।

22) मैंने लेवियों को आज्ञा दी कि वे अपने को पवित्र करें और विश्राम-दिवस को पवित्र रखने के लिए फाटकों पर देखदेख करने आ जायें। मेरे ईश्वर! मेरे इस कार्य को न भुला और अपनी महान् सत्यप्रतिज्ञता के अनुरूप मुझ पर दया कर।

23) उन्हीं दिनों मैंने यह भी देखा कि यहूदियों ने अशदोदी, अम्मोनी और मोआबी स्त्रियों के साथ विवाह किया था।

24) उनकी सन्तानों में आधे अशदोदी या किसी अन्य जाति की भाषा बोलते थे। वे यहूदी भाषा नहीं बोल पाते।

25) मैंने उन को फटकारा और शापित किया, उन में कुछ को मारा-पीटा और उनके बाल नोच डाले। फिर मैंने उन से ईश्वर के नाम पर यह शपथ दिलायी कि तुम अपनी पुत्रियों का विवाह उन लोगों के पुत्रों से नहीं करोगे और न उनकी पुत्रियों का विवाह अपने या अपने पुत्रों के साथ करोगे।

26) क्या इस्राएल के राजा सुलेमान ने विदेशी स्त्रियों के कारण पाप नहीं किया? उस समय के बहुसंख्यक राष्ट्रों में कोई भी राजा उसके-जैसा नहीं था। वह अपने ईश्वर को प्रिय था और ईश्वर ने उसे सारे इस्राएल का राजा बनाया था। फिर भी विजातीय स्त्रियों ने उसे पाप करने के लिए बहकाया।

27) क्या अब हम तुम्हारे बारे में भी यही सुनेंगे कि तुम विजातीय स्त्रियों से विवाह कर इतने बड़े पाप करते हो और अपने ईश्वर के प्रति विश्वासघात करते हो?

28) महायाजक एल्याशीब के पुत्र योयादा के पुत्रों में एक होरोनी सनबल्लट का दामाद था। इसलिए मैंने उसे निर्वासित किया।

29) मेरे ईश्वर! ध्यान रखना कि उन लोगों ने याजकपद को दूषित किया और याजकों एवं लेवियों के कर्तव्यों का पालन नहीं किया।

30) इस प्रकार मैंने उन्हें हर प्रकार के विदेशी सम्पर्क से शुद्ध कराया और याजकों एवं लेवियों को अपने दलों के अनुसार उनके कर्तव्य पर नियुक्त किया।

31) मैंने निश्चित समय पर लकड़ियाँ पहुँचाने और प्रथम फल अर्पित करने का भी प्रबन्ध किया। मेरे ईश्वर! मेरे इस कार्य को न भुलो और मुझ पर दया कर।



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