📖 - एज़्रा का ग्रन्थ

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अध्याय 01

1) यिरमियाह द्वारा घोषित अपनी वाणी पूरी करने के लिए प्रभु ने फ़ारस के राजा सीरुस को उसके शासनकाल के प्रथम वर्ष में प्रेरित किया कि वह अपने सम्पूर्ण राज्य में यह लिखित राजाज्ञा प्रसारित करे,

2) "फारस के राजा सीरुस कहते हैं: प्रभु, स्वर्ग के ईश्वर ने मुझे पृथ्वी के सब राज्य प्रदान किये और उसने मुझे यहूदियों के येरूसालेम में एक मन्दिर बनवाने का आदेश दिया है।

3) ईश्वर उनके साथ रहे, जो तुम लोगों में उसकी प्रजा के सदस्य हैं! वे लोग येरूसालेम में रहने वाले ईश्वर, इस्राएल के ईश्वर, प्रभु का मन्दिर बनाने के लिए येरूसालेम की ओर प्रस्थान करें।

4) जहाँ कहीं कोई इस्राएली हो, उस को वहाँ के लोग चाँदी, सोना, सामान, पशुधन और येरूसालेम में रहने वाले ईश्वर के मन्दिर के लिए स्वेच्छित उपहार प्रदान करें।"

5) तब यूदा और बेनयामीन के परिवारों के अध्यक्ष, याजक और लेवी-वे सब लोग, जिन्हें ईश्वर से यह प्रेरणा मिली-येरूसालेम में रहने वाले प्रभु का मन्दिर बनवाने के लिए लौटने की तैयारियाँ करने लगे।

6) उनके सभी पड़ोसी उन्हें चाँदी, सोना, सामान, पशुधन, बहुत-सी बहुमूल्य वस्तुएँ और स्वेच्छित उपहार दे कर उनकी हर प्रकार की सहायता करते थे।

7) राजा सीरुस ने प्रभु के मन्दिर के वे पात्र निकलवा दिये, जिन्हें नबूकदनेज़र ने येरूसालेम से छीन कर अपने देवों के मन्दिर में रख दिया था।

8 फ़ारस के राजा सीरुस ने उन्हें कोषाध्यक्ष मित्रदात द्वारा निकलवाया, जिसने उन्हें गिन कर यूदा कुल के अध्यक्ष शेशबज़्ज़ार को दिया।

9) उनकी संख्या इस प्रकार थी: सोने की तीस थालियाँ, चाँदी की एक हज़ार थालियाँ, उनतीस छुरियाँ,

10) सोने के तीस पात्र, चाँदी के चार सौ दस पात्र और एक हज़ार अन्य वस्तुएँ।

11) सोने-चाँदी की सब प्रकार की वस्तुओं की संख्या कुल मिला कर पाँच हज़ार चार सौ थी। शेशबज़्ज़र उस समय यह सब अपने साथ ले गया, जिस समय सब प्रवासी बाबुल से येरूसालेम आये।



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