क्रूस का चिह्न

पवित्र त्रित्व की स्तुति

प्रभु की विनती

प्रणाम मरिया

प्रेरितों का धर्मसार

विश्वास की विनती

प्रेम की विनती

भरोसे की विनती

दूत–संवाद

स्वर्ग की रानी

याद कर विनती

पछतावे की विनती

भोजन के पहले की विनती

भोजन के बाद की विनती

तेरी शरण

आसीसी के सन्त फ्रांसिस की प्रार्थना

मिशन के लिए विनती

मेल–मिलाप संस्कार की प्रार्थनाएँ

येसु के परम पवित्र हृदय की भक्ति

स्वास्थ्य की माता वेलांकनी की नौरोजी प्रार्थना

माता मरियम की माला-विनती

कुँवारी मरियम से ’’स्मरण कर’’ प्रार्थना

नित्य सहायक माता की नोवेना प्रार्थनाएं

माता मरियम की स्तुति विनती (गीत)

संत तेरेसा के आदर में नौरोजी प्रार्थना

सात चरण सुसमाचार आदान–प्रदान

देखें – सुनें – प्यार करें: सुसमाचार आदान–प्रदान

पुरोहितों के लिए प्रार्थना

परीक्षा के समय विद्यार्थियों की प्रार्थना

वेदी-सेवकों की प्रार्थना

पापी मनुष्य की प्रार्थना

भयभीत व्यक्ति की प्रार्थना

संकट के समय प्रार्थना

पवित्र क्रूस की प्रार्थना

क्रूसित येसु से प्रार्थना

परम प्रसाद ग्रहण करने के उपरांत प्रार्थना

दम्पतियों की प्रार्थना

बीमारी के समय प्रार्थना

प्रभात की प्रार्थना

धन्यवाद भजन (Te Deum)

रोगी की प्रार्थना

सन्त यूसुफ़ से पवित्र कलीसिया के लिए विनती

हे पवित्र आत्मा, हमारे हृदय में आ।

मृतकों के लिए प्रार्थना

माता-पिता के लिए ब्च्चों की प्रार्थना

शोधकाग्नि की आत्माओं के लिए विनती

क्रिसमस करोल की प्रार्थनाएं

घर की आशिष (पास्का अवधि में)

घर की आशिष (साघारण अवधि में)

परिवार की आशिष

धन्य कुँवारी मरियम का निष्कलंक गर्भागमन - त्रिदिवसीय प्रार्थना

“मेरे प्यारे बच्चों, तुम्हारे हृदय छोटे हैं, लेकिन प्रार्थना उन्हें विकसित कर ईश्वर को प्यार करने के लिए सक्षम बनाती है। प्रार्थना के द्वारा हमें स्वर्ग का पूर्वानुभव प्राप्त होता है और अदन वाटिका हम पर उतर आती है। प्रार्थना मिठास के बिना हमें नहीं छोडती है।  वह शहद है जो हमारी आत्मा की ओर बहकर सब कुछ को मीठा कर देता है।  जब हम ठीक से प्रार्थना करते हैं, हमारा दुख ऐसे गायब हो जाता है, जैसे बर्फ़ सूरज के सामने पिघलती है।“

“प्रार्थना हृदय की अभिलाषा है, वह स्वर्ग की ओर दृष्टि डालना है।  वह क्लेश तथा आनन्द के बीच धन्यवाद और प्रेम की पुकार है; अंतत: वह एक ऐसी महान और अलौकिक चीज़ है जो मेरी आत्मा को विस्तृत कर उसे येसु से मिलाती है।“

“प्रार्थना के द्वारा आत्मा हर प्रकार के संघर्ष के लिए तैयार हो जाती है।  आत्मा किसी भी हालात में क्यों न हो, उसे प्रार्थना करनी चाहिए।“ जो आत्मा पवित्र और सुन्दर है, उसे प्रार्थना करना चाहिए नहीं तो, उसकी सुन्दरता नष्ट हो जायेगी; जो आत्मा सुन्दरता की कामना करती हो, उसे प्रार्थना करनी चाहिए, नहीं तो उसे सुन्दरता कभी प्राप्त नहीं होगी; जिस आत्मा का हाल ही में परिवर्तन हुआ, उसे प्रार्थना करना चाहिए, नहीं तो वह फ़िर से गिर जायेगी, एक पाप से घिरी आत्मा को भी प्रार्थना करनी चाहिए ताकि वह फ़िर से उठ सके।  ऐसी कोई आत्मा नहीं जिसे प्रार्थना नहीं करनी चाहिए, क्योंकि हरेक कृपा प्रार्थना के द्वारा ही आत्मा तक पहुँचती है।“

यह मान कर प्रार्थना करो कि सब कुछ ईश्वर पर निर्भर है।  यह मान कर काम करो कि सब कुछ तुझ पर निर्भर है।“

“सदाचार का निर्माण प्रार्थना से होता है। प्रार्थना संयम की रक्षा करती है।  वह गुस्से को दबा देती है।  प्रार्थना ईर्ष्या तथा घमण्ड की भावनाओं को दूर करती है।  प्रार्थना पवित्र आत्मा को आत्मा की ओर खींचती और मनुष्य को स्वर्ग की ओर उठाती है।“