📖 - थेसलनीकियों के नाम सन्त पौलुस का पहला पत्र

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अध्याय 05

जागते रहें

1 (1-2) भाइयो! आप लोग अच्छी तरह जानते हैं कि प्रभु का दिन, रात के चोर की तरह, आयेगा। इसलिए इसके निश्चित समय के विषय में आप को कुछ लिखने की कोई ज़रूरत नहीं है।

3) जब लोग यह कहेंगे: ’अब तो शान्ति और सुरक्षा है’, तभी विनाश उन पर गर्भवती पर प्रसव-पीड़ा की तरह, अचानक आ पड़ेगा और वे उस से बच नहीं सकेंगे।

4) भाइयो! आप तो अन्धकार में नहीं हैं, जो वह दिन आप पर चोर की तरह अचानक आ पड़े।

5) आप सब ज्योति की सन्तान हैं, दिन की सन्तान हैं। हम रात या अन्धकार के नहीं है।

6) इसलिए हम दूसरों की तरह नहीं सोयें, बल्कि जगाते हुए सतर्क रहें।

7) जो सोते हैं, वे रात को सोते हैं। जो मदिरा पीते हैं, वे रात को मदिरा पीते हैं।

8) हम जो दिन के हैं, विश्वास एवं प्रेम का कवच और मुक्ति की आशा का टोप पहन कर सतर्क बने रहें।

9) ईश्वर यह नहीं चाहता कि हम उसके कोप-भजन बनें, बल्कि अपने प्रभु ईसा मसीह के द्वारा मुक्ति प्राप्त करें।

10) मसीह हमारे लिए मरे, जिससे वह चाहे जीवित हों या मर गये हों, उन से संयुक्त हो कर जीवन बितायें।

11) इसलिए आप को एक दूसरे को प्रोत्साहन और सहायता देनी चाहिए, जैसा कि आप कर रहे है।।

विभिन्न परामर्श

12 (12-13) भाइयो! हमारी आप से एक प्रार्थना है। जो लोग आपके बीच परिश्रम करते हैं, प्रभु में आपके अधिकारी हैं और आप को उपदेश देते हैं, आप उनकी आज्ञा का पालन करें और प्रेमपूर्वक उनका सम्मान करें; क्योंकि वे आपके लिए परिश्रम करते हैं। आपस में मेल रखें।

14) भाइयो! हम आप से अनुरोध करते हैं कि आप आवारा लोगों को चेतावनी दें, भीरूओं को सान्त्वना दें, दुर्बलों को संभालें और सभी से धैर्य के साथ व्यवहार करें।

15) आप इस बात का ध्यान रखें कि कोई भी बुराई के बदले बुराई नहीं करे। आप सदैव एक दूसरे की और सब मनुष्यों की भलाई करने का प्रयत्न करें।

16) आप लोग हर समय प्रसन्न रहें,

17) निरन्तर प्रार्थना करते रहें,

18) सब बातों के लिए ईश्वर को धन्यवाद दें; क्योंकि ईसा मसीह के अनुसार आप लोगों के विषय में ईश्वर की इच्छा यही है।

19) आत्मा की प्रेरणा का दमन नहीं करें

20) और भविष्यवाणी के वरदान की उपेक्षा नहीं करें;

21) बल्कि सब कुछ परखें और जो अच्छा हो, उसे स्वीकार करें।

22) हर प्रकार की बुराई से बचते रहें।

उपसंहार

23) शान्ति का ईश्वर आप लोगों को पूर्ण रूप से पवित्र करे। आप लोगों का मन, आत्मा तथा शरीर हमारे प्रभु ईसा मसीह के दिन निर्दोष पाये जायें।

24) ईश्वर यह सब करायेगा, क्योंकि उसने आप लोगों को बुलाया और वह सत्यप्रतिज्ञ है।

25) भाइयो! आप हमारे लिए भी प्रार्थना करें।

26) शान्ति के चुम्बन से सब भाइयों का अभिवादन करें।

27) आप लोगों को प्रभु की शपथ-यह पत्र सभी भाइयों को पढ़ कर सुनाया जाये।

28) हमारे प्रभु ईसा मसीह की कृपा आप सब पर बनी रहे।



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