📖 - योना का ग्रन्थ (Jonah)

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अध्याय 03

1) प्रभु के वाणी योना को दूसरी बार यह कहते हुए सुनाई पडी,

2) "उठो! महानगर निनीवे जा कर वहाँ के लोगों को उपदेश दो, जैसा कि मैंने तुम्हें बताया है"।

3) इस पर योना उठ खडा हुआ और प्रभु के आज्ञानुसार निनीवे चला गया। निनीवे एक बहुत बड़ा शहर था। उसे पार करने में तीन दिन लगते थे।

4) योना ने उस में प्रवेश किया और एक दिन की यात्रा पूरी करने के बाद वह इस प्रकार उपदेश देने, लगा "चालीस दिन के बाद निनीवे का विनाश किया जायेगा"।

5) निनीवे के लोगों ने ईश्वर की बात पर विश्वास किया। उन्होंने उपवास की घोषणा की और बडों से लेकर छोटों तक सबों ने टाट ओढ लिया।

6) निनीवे के राजा ने यह खबर सुनी। उसने अपना सिंहासन छोड दिया, अपने वस्त्र उतार कर टाट पहन लिया और वह राख पर बैठ गया।

7) इसके बाद उसने निनीवे में यह आदेश घोषित किया, "यह राजा तथा उसके सामन्तों का आदेश है: चाहे मनुष्य हो या पशु, गाय-बैल हो या भेड-बकरी, कोई भी न तो खायेगा, न चरेगा और न पानी पियेगा।

8) सभी व्यक्ति टाट ओढ कर पूरी शक्ति से ईश्वर की दुहाई देंगे। सभी अपना कुमार्ग तथा अपने हाथों से होने वाले हिंसात्मक कार्य छोड दें।

9) क्या जाने ईश्वर द्रवित हो जाये, उसका क्रोध शान्त हो जाये और हमारा विनाश न हो"।

10) ईश्वर ने देखा कि वे क्या कर रहे हैं और किस प्रकार उन्होंने कुमार्ग छोड दिया है, तो वह द्रवित हो गया और उसने जिस विपत्ति की धमकी दी थी, उसे उन पर नहीं आने दिया।



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