1) अब मैं अपनी प्रजा की सुख-समृद्धि पुनः स्थापित करना चाहता हूँ और इस्राएल को चंगा करूँगा। तब मैं एफ्राईम के भ्रष्टाचार का और समारिया के दुराचार का पदाफाश करूँगा। वे तो अविश्वासी रहे हैं, चोर हैं, घरों में सेंघ मारते हैं और बाहर डाका डालते हैं।
2) वे इस पर ध्यान तक नहीं देते कि मैं उनके सब दुष्कर्मों को स्मरण करता हूँ। अब वे अपने ही अपराधों से घिरे हुए हैं और मेरी आंखों का काँटा बन गये हैं।
3) वे राजा को अपने छल-कपट से फुसला लेते हैं और अपने विश्वसाघात से शासकों को भी।
4) वे सब-के-सब लम्पट हैं; तपे तुए तन्दूर में राख के नीचे जलते अंगारों के समान, जिन्हें नानबाई तब तक नही फूँकता, जब तक खमीर के साथ गूँथा हुआ आटा न फूल गया हो।
5) अपने पर्व-दिवस पर राजा इन धूर्तों से मिलता-जुलता है और वे अंगूरी पिला-पिला कर उसे भरमा देते हैं।
6) षड्यंत्र रचने की उत्तेजना में तन्दूर में अंगार की तरह उनके हृदय जलते हैं; रात भर उनका क्रोध सुलगता रहता है और भोर को धधकती ज्वाला बन कर भभक उठाता है।
7) तब वे धधकती भट्ठी बन कर अपने शासकों को भस्म कर देते हैं। इस प्रकार उनके सभी राजाओं का पतन हो गया है और उन में से किसी ने भी मुझ को नहीं पुकारा है।
8) एफ्राईम अन्य जातियों के साथ धुलमिल गया है; एफ्राईम अधपकी रोटी है।
9) विदेशी उसकी शक्ति खा रहे हैं, किन्तु उसे उसका कुछ पता नहीं। अनजाने ही उसके बाल पक गये हैं।
10) इस्राएल का घमण्ड उसी के अपने मुँह पर कालिख लगा रहा है। यह होते हुए भी वे न अपने प्रभु-ईश्वर की ओर उन्मुख होते, न ही उसे ढूँढते हैं।
11) एफ्राइम नादान और नासम कबूतर हैं; वे मिस्र की सहायता माँगते और अस्सूर की शरण दौडते हैं।
12) जब वे वहाँ जायेंगे, तो मैं उन पर जाल फेंक कर उन्हें पक्षियों की तरह गिरा दूँगा; मैं उनके कुकर्मों के लिए उन्हें दण्ड दूँगा।
13) धिक्कार है उन को कि वे मुझ से विमुख हो कर पथभ्रष्ट हो गये हैं! नाश हो उनका क्योंकि उन्होंने मेरे विरुद्ध विद्रोह किया है! मैं उनका क्या उद्धार करूँ, जब कि वे मेरे विरुद्ध झूठ बोलते हैं?
14) वे अपनी चटाइयों पर पड़-पडे़ जब हाय-हाय करते हुए मुझे पुकारते हैं, तब उनकी पुकार हृदय की पुकार नहीं होती। अन्न और अंगूरी के लिए वे अपने को ही घायल करते हैं, और इस तरह मेरे विरुद्ध विद्रोह करते हैं।
15) यद्यपि मैंने ही उनकी भुजाओं को बल प्रदान किया, तथापि वे मेरे विरुद्ध कुचक्र रचते रहते हैं।
16) वे बिना डोरी के धनुष-जैसे ढीले हैं; वे तो बालदेवता के पास लौट कर उसकी दुहाई देते हैं। बात करने में गुस्ताखी के कारण ही उनके शासक तलवार से मरेंगे। मिस्र में लोग उनकी बड़ी हँसी उडायेंगे।