1) येरूसालेम! अपने शोक और सन्ताप के वस्त्र उतार और सदा के लिए ईश्वर की महिमा का सौंदर्य धारण कर।
2) तू ईश्वरीय न्यास का लबादा पहन कर अपने सिर पर प्रभु का दिया हुआ गौरव का मुकुट रख ले;
3) क्योंकि ईश्वर पृथ्वी भर के लोगों पर तेरी महिमा प्रकट करेगा
4) और सदा के लिए तेरा यह नाम रखेगा- न्याय की शान्ति और धार्मिकता की महिमा।
5) येरूसालेम! उठ खड़ा हो जा, पर्वत पर चढ़ कर पूर्व की ओर दृष्टि लगा। देख, प्रभु की आज्ञा से तरे पुत्र पश्चिम और पूर्व से एकत्र हो गये हैं। वे आनन्द मना रहे हैं, क्योंकि ईश्वर ने उनकी सुध ली है।
6) शत्रुओं ने उन्हें बाध्य किया था कि वे तुझ को छोड़़ कर पैदल ही चले जायें, परन्तु ईश्वर उन्हें राजसी पालकी में ेबैठा कर तेरे पास वापस ले आ रहा है।
7) ईश्वर का आदेश है कि हर एक ऊँचा पहाड़ और सभी चिरस्थायी पहाडियाँ समतल की जायें और हर एक घाटी पाट कर भर दी जाये, जिससे इस्राएली महिमामय प्रभु की रक्षा में सुरक्षित आगे बढ़ सके।
8) ईश्वर के आदेश पर सभी वन और सुगन्धित वृक्ष इस्राएल पर छाया करेंगे;
9) क्योंकि दयामय तथा न्यायी ईश्वर इस्राएल को आनद प्रदान करेगा और अपनी महिमा के प्रकाश से उसका पथप्रदर्शन करेगा।