2कुरिन्थियों 5:1 “हम जानते हैं कि जब यह तम्बू, पृथ्वी पर हमारा यह घर, गिरा दिया जायेगा, तो हमें ईश्वर द्वारा निर्मित एक निवास मिलेगा। वह एक ऐसा घर है, जो हाथ का बना नहीं है और अनन्त काल तक स्वर्ग में बना रहेगा।”
1 योहन 2:17 “संसार और उसकी वासना समाप्त हो रही है; किन्तु जो ईश्वर की इच्छा पूरी करता है, वह युग-युगों तक बना रहता है।”
2 कुरिन्थियों 4:18 “हमारी आँखें दृश्य पर नहीं, बल्कि अदृश्य चीजों पर टिकी हुई हैं, क्योंकि हम जो चीजें देखते हैं, वे अल्पकालिक हैं। अनदेखी चीजें अनन्त काल तक बनी रहती है।”
योहन 14:27 “ मैं तुम्हारे लिये शांति छोड जाता हूँ। अपनी शांति तुम्हें प्रदान करता हूँ। वह संसार की शांति-जैसी नहीं है। तुम्हारा जी घबराये नहीं। भीरु मत बनो।”
स्तोत्र 49:10-21 “क्या कोई सदा के लिए जीवित रहेगा? कभी वह मृत्यु का गर्त नहीं देखेगा? (11) लोग देखते हैं कि बुद्धिमान मर जाते हैं; उनकी तरह मूर्ख और नासमझ मर कर अपनी सम्पत्ति दूसरों के लिए छोड़ जाते हैं। (12) उनकी कब्र सदा के लिए उनका घर है। वे पीढ़ी-दर-पीढ़ी उस में निवास करेंगे, हालाँकि उन्होंने अपने नाम पर अपनी जमीन का नाम रखा था। (13) मनुष्य अपने वैभव में यह नहीं समझता, वह गूंगे, पशुओं के सदृश है। (14) यह उन लोगों की गति है, जो अपने पर भरोसा रखते हैं। यह उनका भविष्य है, जो ऐसे लोगों की चाटुकारी करते हैं। (15) वे भेंड़ों की तरह अधोलोक के बाड़े में रखे जायेंगे, मृत्यु उन्हें चराने ले जायेगी। वे सीधे कब्र में उतरेंगे। उनका शरीर गल जायेगा और वे अधोलोक में निवास करेंगे, (16) जब कि ईश्वर मेरी आत्मा का उद्धार करेगा और मुझे अधोलोक से निकालेगा। (17) इसकी चिन्ता मत करो यदि कोई धनी बनता हो और उसके घर का वैभव बढ़ता जाये (18) मरने पर वह अपने साथ कुछ नहीं ले जाता है और उसका वैभव उसका साथ नहीं देता। (19) वह अपने जीवनकाल में अपने को धन्य समझता था- "लोग तुम्हारे वैभव के कारण तुम्हारी प्रशंसा करते हैं"। (20) वह अपने पूर्वजों के पास जायेगा, जो कभी दिन का प्रकाश नहीं देखेंगे। (21) मनुष्य अपने वैभव में यह नहीं समझता, वह गूंगे, पशुओं के सदृश है।“
स्तोत्र 103:15-16 “ मनुष्य के दिन घास की तरह हैं वह खेत के फूल की तरह खिलता है। हवा का झोंका लगते ही वह चला जाता है और फिर कभी नहीं दिखाई देता है।”
याकूब 4:13-17 “ आप लोग जो यह कहते हैं, "हम आज या कल अमुक नगर जायेंगे, एक वर्ष तक वहाँ रह कर व्यापार करेंगे और धन कमायेंगे", मेरी बात सुनें। (14) आप नहीं जानते कि कल आपका क्या हाल होगा। आपका जीवन एक कुहरा मात्र है- वह एक क्षण दिखाई दे कर लुप्त हो जाता है। (15) आप लोगों को यह कहना चाहिए, "यदि ईश्वर की इच्छा होगी, तो हम जीवित रहेंगे और यह या वह काम करेंगे"। (16) किन्तु आप अपनी धृष्टता पर घमण्ड करते हैं। इस प्रकार का घमण्ड बुरा है। (17) जो मनुष्य यह जानता है कि उसे क्या करना चाहिए, किन्तु नहीं करता, उसे पाप लगता है।”